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महिला अपराधों के खिलाफ अदालतों ने सख्ती दिखाई

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, सोमवार, 30 दिसंबर 2013 (11:58 IST)
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नई दिल्ली। पिछले साल 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार की वीभत्स घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए आवाज तेज हो गई और फास्ट-ट्रैक अदालतों ने 2013 में कुछ कठोर फैसले किए।

16 दिसंबर की घटना के बाद सड़कों पर जनता की नाराजगी के बाद अधिकारियों ने बलात्कार, छेड़छाड़, पीछा करने और घूरने जैसे अपराधों के मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए इस साल की शुरुआत में 6 फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना की। राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के मामलों की बढ़ती तादाद ने चिंता का माहौल पैदा कर दिया।

दिल्ली उच्च न्यायालय में भी गलत तरह से घूरने की एक घटना सामने आई, जहां महिला विश्राम कक्ष में महिला वकीलों की मोबाइल पर फिल्म बनाई गई।

इसके बाद शीर्ष अदालत द्वारा 1997 में विशाखा मामले में तय किए गए दिशा-निर्देशों को अमल में लाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। (भाषा)


अमेरिका के एक चिकित्सक डॉक्टर वॉल्‍टर सेमकिव ने पुनर्जन्म पर शोध करके एक किताब लिखी है जिसका नाम है, ‘रिटर्न ऑफ द रिवाल्‍यूशनरीज : द केस फॉर रीइनकारनेशन एंड सोल ग्रुप्‍स दी यूनाइटेड।' भारत में यह किताब ‘द बॉर्न अगेन’ के नाम से मिलती है। वॉल्टर ‍की किताब में इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, जवाहरलाल नेहरू, बेनजीर भुट्टो, नाना साहेब और बहादुर शाह जफर के पुनर्जन्‍म के बारे में भी लिखा है।

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