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मिसाइल सौदे में कोई घोटाला नहीं

रक्षा मंत्रालय ने आरोपों को नकारा

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सुरेश बाफना

नई दिल्ली , गुरुवार, 2 अप्रैल 2009 (11:07 IST)
रक्षा मंत्रालय के उच्चस्तरीय सूत्रों ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि मध्यम दूरी की सतह से आकाश में मार करने वाली मिसाइल एमआरएसएएम के विकास व उत्पादन पर इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) को दिए गए लगभग 7 हजार करोड़ रुपए (एक अरब 36 करोड़ 30 लाख डॉलर) के ठेके में रिश्वत दी गई है।

छः प्रतिशत कारोबारी खर्च देने के संबंध में रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इसका उल्लेख केवल प्राइस नेगोसिएशन कमेटी द्वारा तैयार रिपोर्ट में किया गया है। आईएआई के साथ हुए करार दस्तावेजों में कारोबारी खर्च का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। आईएआई की तरफ से जो प्रस्ताव पेश किया गया था, उसमें भी कारोबारी खर्च का कोई उल्लेख नहीं है।

आईएआई ने करार के लिए एकमुश्त राशि लेने का प्रस्ताव किया था, जिसमें सभी तरह का खर्च शामिल था। फिर भी यदि रिश्वत लेने या देने के ठोस प्रमाण सामने आते हैं तो करार के अनुच्छेद-30 (इंटीग्रिटी पेक्ट) के तहत यह ठेका रद्द किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रिश्वत का आरोप ठेके के किसी भी पहलू पर लगाया जा सकता है।

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