मोदी ने नहीं दी इफतार पार्टी, लोकसभा में हंगामा
नई दिल्ली , मंगलवार, 5 अगस्त 2014 (14:54 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रमजान के महीने में इफतार पार्टी न दिए जाने को लेकर मंगलवार को लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई।कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने शून्यकाल के दौरान इफतार पार्टी का मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वह व्यक्तिगत मुद्दा न उठाएं। उन्होंने कहा कि यह इफतार पार्टी के बारे में चर्चा करने की जगह नहीं है। इस पर कांग्रेस के सदस्यों ने चौधरी को बोलने देने की मांग करते हुए भारी हंगामा किया। दूसरी ओर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस सदस्यों का कड़ा विरोध किया।इससे पूर्व शून्यकाल शुरू होने पर तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि नेपाल यात्रा के दौरान मोदी ने पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर अच्छा काम किया है, लेकिन देश के बहुधर्मी और बहुआस्था वाले स्वरूप को उन्हें ईद के मौके पर भी बधाई देनी चाहिए थी।बंदोपाध्याय के बाद चौधरी देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का उल्लेख करते हुए कुछ बोलना चाह रहे थे, लेकिन अध्यक्ष ने उनसे कहा कि वह अपने को सिर्फ बंदोपाध्याय के साथ सम्बद्ध कर सकते हैं।इस पर कांग्रेस के कुछ सदस्य उन्हें बोलने का मौका देने की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आ गए।इसी दौरान सिविल सेवा परीक्षा से सीसेट हटाने की मांग को लेकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य भी अध्यक्ष के आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का अनुरोध किया, लेकिन हंगामा जारी रहने पर उन्होंन कार्यवाही 12 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही पुन: शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने अध्यक्ष से चौधरी को अपनी बात रखने का मौका देने का अनुरोध किया।चौधरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जियो और जीने दो की भावना निहित है। उन्होंने कहा कि मोदी जहां भी पूजा अर्चना करना चाहें, कर सकते हैं। लेकिन हमेशा से यह रिवाज रहा है कि प्रधानमंत्री रमजान के माह में इफतार पार्टी देते हैं और अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपने कार्यकाल में इस परम्परा को निभाया था। इस पर अध्यक्ष ने उन्हें कोई व्यक्तिगत मुद्दा सदन में न उठाने की हिदायत देते हुए कहा कि यह इफतार पार्टी मांगने का स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार सबको समान भाव से देखती है और उसी रास्ते पर चल रही है।सुमित्रा ने कहा कि चौधरी यदि बंदोपाध्याय की तर्ज पर बोलते तो ठीक था लेकिन सदन में इस तरह व्यक्तिगत बातें नहीं उठाई जानी चाहिए। इस पर कांग्रेस के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो गए और नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आ गए। शोर-शराबे के बीच ही अध्यक्ष ने कुछ अन्य सदस्यों को अपने मुद्दे रखने की अनुमति दी। (वार्ता)