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यौन उत्पीड़न के मामले में एके गांगुली मुश्किल में

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नई दिल्ली , रविवार, 29 दिसंबर 2013 (21:51 IST)
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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एके गांगुली के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए इस सप्ताह उच्चतम न्यायालय को प्रेसीडेंसियल रेफरेंस (राष्ट्रपति का उच्चतम न्यायालय से परामर्श मांगना) भेज सकती है।

गृह मंत्रालय के अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती की राय को शामिल करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की अगली बैठक में प्रेसीडेंशियल रेफरेंस भेजने के संबंध में एक नोट रख सकता है। वाहनवती का कहना है कि महिला लॉ इंटर्न के प्रति ‘अवांछित व्यवहार’ के आरोपों के मद्देनजर गांगुली के खिलाफ मामला बन सकता है।

सू़त्रों ने कहा कि एक बार मंत्रिमंडल प्रस्ताव को हरी झंडी दे देता है, तो इसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जाएगा। इसके बाद गृह मंत्रालय राष्ट्रपति के उच्चतम न्यायालय से राय मांगने के प्रस्ताव को भारत के प्रधान न्यायाधीश के पास भेजेगा ताकि इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच कराई जा सके। शीतकालीन छुट्टियों के बाद उच्चतम न्यायालय की बैठक शुरू होने पर सरकार इस पहल को आगे बढ़ा सकती है।

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अटार्नी जनरल का यह सुझाव तब आया जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राष्ट्रपति को लिखे पत्र पर राय मांगी गई । पत्र में महिला लॉ इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोप में गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाए जाने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति गांगुली ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और अपने पद से इस्तीफा देने से भी इंकार किया है। सूत्रों ने कहा कि अटॉर्नी जनरल से राय देने को कहा गया कि क्या तीन मुद्दों पर कोई मामला बनता है, जिनमें गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप, पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित किए बिना उनकी पाकिस्तान यात्रा और मानवाधिकार आयोग के उच्च पद पर रहते हुए आल इंडिया फुटबॉल फेडेरेशन से जुड़ा कार्य करना शामिल है।

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम में स्पष्ट किया गया है कि एनएचआरसी या राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को राष्ट्रपति के आदेश से उस स्थिति में हटाया जा सकता है जब दुर्व्यवहार या अक्षमता साबित होती है। इसके लिए राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से सुझाव मांग सकते हैं।

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत यदि राष्ट्रपति को किसी समय प्रतीत होता है कि विधि या तथ्य का कोई ऐसा प्रश्न उत्पन्न हुआ है या होने की संभावना है, जो ऐसी प्रकृति का और ऐसे व्यापक महत्व का है कि उस पर उच्चतम न्यायालय से परामर्श प्राप्त करना समीचीन है तो वह उस प्रश्न को विचार करने के लिए न्यायालय को निर्देशित कर सकता है। (भाषा)

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