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वकील से अकेले नहीं मिल सकेगा कसाब

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मुंबई , बुधवार, 29 सितम्बर 2010 (15:46 IST)
बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले रिकॉर्ड और पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब के आक्रामक रवैये को ध्यान में रखते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने वकीलों से बंद कमरे में बातचीत का आग्रह किया था।

कसाब मुंबई हमलों में अपने को मिली सजा-ए-मौत की पुष्टि पर अपने रुख के लिए वकीलों से बंद कमरे में बात करना चाहता था।

न्यायमूर्ति रंजना देसाई और आरवी मोर ने उसके आग्रह को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने सरकारी वकील उज्ज्वल निकम द्वारा सौंपी गई सीसीटीवी फुटेज की सीडी देखी जिसमें कसाब एक सितंबर को जेल कर्मियों पर हमला करता दिखा। उन्होंने जेल में उसके आक्रामक व्यवहार के पिछले अनुभवों पर भी विचार किया।

दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इस तरह के मामले में कसाब को खतरे के मुद्दे पर इस अदालत द्वारा सवाल नहीं उठाया जा सकता। राष्ट्रीय हित और सुरक्षा अन्य सभी चिंताओं से बढ़कर है। इसलिए हम कसाब के आग्रह को खारिज करते हैं जिसमें वह ऐसी जगह कानूनी बातचीत करना चाहता है जहाँ से जेल स्टाफ और पुलिस को सुनाई न दे।

कसाब के वकील अमीन सोलकर ने तर्क दिया कि जेल में और इसके इर्द गिर्द पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है जहाँ कसाब बंद है और उनका मुवक्किल उनसे स्वतंत्र माहौल में और पुलिस तथा जेल स्टाफ की गैर मौजूदगी में बातचीत करना चाहता है।

निकम ने कसाब के आग्रह का यह कहकर विरोध किया कि वह एक प्रशिक्षित कमांडो है और अपनी तेज गतिविधियों से अपनी खुद की तथा जेल सुरक्षाकर्मियों की जान को खतरा पैदा कर सकता है। उन्होंने जेल में मुकदमे के दौरान और बाद में कसाब के व्यवहार की गोपनीय रिपोर्ट सौंपी। (भाषा)

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