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वामपंथी समर्थन वापस लें- वीपी सिंह

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हमें फॉलो करें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह मनमोहनसिंह वामपंथी
नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 12 अगस्त 2007 (22:00 IST)
पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने वामपंथी दलों का आह्वान किया है कि मनमोहन सरकार यदि अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते को रद्द नहीं करती है, तो वे उससे समर्थन वापस ले लें। सिंह ने रविवार को कहा कि वामपंथी दलों को कुछ करना है तो इसी समय करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यदि परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत नहीं कर सकते हैं तो उन्हें समझौते को रद्द कर देना चाहिए और यदि वे ऐसा भी नहीं कर सकते हैं तो हमें नया प्रधानमंत्री खोजना होगा, जो ऐसा करेगा। इस नाजुक मौके पर वामपंथी दलों को ऐतिहासिक भूमिका निभानी है और मुझे विश्वास है कि वे ऐसा करेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह स्पष्ट कर चुके है कि परमाणु समझौते पर दोबारा बातचीत की कोई गुंजाइश नही है और वामपंथी दल चाहें तो सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं।

यह पूछे जाने पर कि समर्थन वापस लेने पर यदि चुनाव हुए, तो क्या उसका लाभ भाजपा को नहीं मिलेगा पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे वामपंथी दलों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। इस समय यह सोचने की जरूरत है कि देश को बचाना है या सरकार को।

उन्होंने कहा कि यदि इस समय उचित निर्णय नहीं लिया गया तो यह सरकार कई और ऐसे निर्णय करेगी, जो राष्ट्रहित में नहीं होंगे।

पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि परमाणु मुद्दे पर लोकसभा में मतदान के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत चर्चा कराई जानी चाहिए और जो भी निष्कर्ष निकले, उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मंत्रिमंडल के निर्णय का सहारा लिया है, लेकिन मंत्री उनके ही चुने हुए हैं, जबकि सांसदों को जनता ने चुना है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का तकाजा है कि सांसदों की इच्छा को वरीयता दी जानी चाहिए, क्योंकि मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री कार्यकारी प्रमुख हैं और संसद जनता की चुनी हुई है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री बहुमत की उपेक्षा कर रहे है।

सिंह ने कहा कि वह प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करते हैं और उनकी अंतरात्मा ही उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर करेगी।

सिंह ने कहा कि उन्होंने माकपा महासचिव प्रकाश करात और सीताराम येचुरी से फोन पर बातचीत की है और भाकपा के महासचिव एबी बर्धन तथा डी राजा से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया।

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