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वामपं‍थियों की सरकार को चेतावनी

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हमें फॉलो करें वामपंथी परमाणु समझौते 123
नई दिल्ली (वार्ता) , शनिवार, 11 अगस्त 2007 (09:38 IST)
प्रमुख वामपंथी दलों ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर कांग्रेसनीत गठबंधन सरकार से संसद में किसी भी नियम के तहत बहस कराने की माँग की और चेतावनी दी कि अगर उसने इस पर संसद की भावना की अवहेलना की तो उसे इससे राजनीतिक नतीजे भुगतने को तैयार रहना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय नेताओं ने शुक्रवार को यहाँ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संप्रग सरकार से समझौते का क्रियान्वयन रोकने तथा अंतरराष्ट्रीय संधियों की संसद से पुष्टि के अनिवार्य प्रावधान के लिए संविधान संशोधन करने की भी माँग की।

लोकसभा में माकपा के नेता वासुदेव आचार्य तथा भाकपा के नेता गुरदास दासगुप्ता ने भरोसा जताया कि सरकार समझौते की नियति के बारे में दीवार पर लिखी इबारत पढ़ेगी, लेकिन उन्होंने संप्रग सरकार को अपने अस्तित्व के लिए बाहर से वामदलों के समर्थन पर निर्भरता की याद दिलाते हुए चेतावनी भी दी कि उसे संसद की भावना का सम्मान नहीं करने के राजनीतिक नतीजे भुगतने होंगे। अलबत्ता आचार्य ने कहा कि वे तीन साल पुरानी सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहेंगे।

सरकार नही गिराने की घोषणा और राजनीतिक नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहने की चेतावनी का आशय पूछे जाने पर वाम नेताओं ने कहा कि कांग्रेस इसका मतलब समझती है। उन्होंने कहा कि वाम ताकतों की देश में महत्वपूर्ण उपस्थिति है और सरकार इसकी अनदेखी नहीं कर सकती।

वाम नेताओं ने मतदान के साथ चर्चा के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत संसद में परमाणु समझौते पर बहस कराने की भाजपानीत विपक्षी राजग तथा समाजवादी पार्टी, तेलुगूदेशम पार्टी एवं अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन की माँग से असहमति जताते हुए कहा कि अगर वे समझते हैं कि संसद में हाथ उठाने से वांछित परिणाम मिल सकते हैं, तो वे गलतफहमी में हैं।

आचार्य ने संसद में बिना मतदान के चर्चा वाले नियम 193 के तहत पार्टी की ओर से बहस का नोटिस दिए जाने की जानकारी दी, जबकि दासगुप्ता ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी नियम के तहत इस पर चर्चा के लिए तैयार है।

लोकसभा में माकपा के उपनेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि इस पर संसद की भावना जानना और लोकतंत्र में किसी भी सरकार को इस भावना का सम्मान करना ही चाहिए।

इससे पहले वामदलों ने एक संयुक्त बैठक में साफ कहा कि संसद की भावना लिए बिना सरकार इस समझौते पर अमल की दिशा में कदम नहीं बढ़ा सकती। इस बैठक में माकपा तथा भाकपा के साथ-साथ फारवर्ड ब्लाक तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं ने भी शिरकत की।

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