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शिक्षकों की कमी पर तत्काल गौर करे यूजीसी

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नई दिल्ली , शनिवार, 28 दिसंबर 2013 (14:22 IST)
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नई दिल्ली। देश में शिक्षकों की कमी से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के प्रभावित होने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अन्य संबद्ध पक्षों को इस मुद्दे पर तत्परता से विचार कर नए तरीकों से समाधान खोजना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में यह उल्लेख भी किया कि देश के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों की गिनती विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों में नहीं होती है। गुणवत्ता उच्च शिक्षा क्षेत्र में बड़ी चिंता का विषय है।

उन्होंने यूजीसी और अन्य संबद्ध पक्षों से आग्रह किया कि वे गुणवत्ता और शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दों पर तत्काल विचार करें और इनका हल करने के लिए नए तरीके खोजें। आंकड़ों के मुताबिक अकेले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में 32 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है और देश के लगभग सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है।

सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय पद्धति के तहत अनुसंधान पर अधिक जोर देने की जरूरत है विशेष रूप से पीएचडी पाठ्यक्रमों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे विश्वविद्यालयों की संस्कृति में अंतर-विषय अनुसंधान की जड़ें मजबूत हों। हमें आज के हालात को पलटने की जरूरत है, जहां विभाग आमतौर पर अलग-थलग होकर काम करते हैं।

सिंह ने विश्वविद्यालय पद्धति में शैक्षिक स्वतंत्रता का माहौल बनाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि शिक्षण और अनुसंधान में नवीनता और उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने पाठयक्रम खुद तैयार करने की आजादी हो। (भाषा)

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