उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की अनौपचारिक घोषणा ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन व वामपंथी दलों के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है कि वे राष्ट्रपति पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार होंगे।
निर्वाचक मंडल में लगभग 70-80 हजार वोटों का बहुमत होने के बावजूद संप्रग गठबंधन आश्वस्त नहीं है कि उनका उम्मीदवार बाजी मार लेगा।
वामपंथी दलों का तो तर्क ही यह है कि शेखावत के खिलाफ किसी मजबूत उम्मीदवार को नहीं उतारा गया तो जीती बाजी हाथ से फिसल सकती है। कांग्रेस के भीतर ही पार्टी की इस सोच को गलत बताया जा रहा है कि किसी को भी उम्मीदवार बना दो, वह जीत जाएगा।
माना जा रहा है कि यदि शेखावत निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेंगे तो कांग्रेस-विरोध के नाम पर तीसरे मोर्चे के वोट उनकी झोली में गिर सकते हैं। यदि शेखावत तीसरे मोर्चे के वोट पाने में सफल हो गए तो संप्रग उम्मीदवार की चिंता कई गुना बढ़ जाएगी।
शेखावत के राजनीतिक कौशल व क्षमता को देखते हुए वे संप्रग में सेंध लगाने में कामयाब हो सकते हैं। वामपंथी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी को चेतावनी दी है कि वे शेखावत की चुनौती को हल्के ढंग से न लें।
वामपंथी शिवराज पाटिल की उम्मीदवारी का विरोध ही इस आधार पर कर रहे हैं कि वे शेखावत के सामने काफी कमजोर सिद्ध होंगे। उनकी राय में श्री प्रणब मुखर्जी ही शेखावत का सफल मुकाबला कर सकते हैं।
राष्ट्रपति पद के लिए अभी तक जो शतरंज बिछी है, उसमें शेखावत टक्कर देने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में सांसदों व विधायकों पर पार्टी का कोई व्हिप नहीं चलता है, इसलिए क्रास वोटिंग की संभावना सबसे अधिक रहती है।
चर्चा तो यहाँ तक है कि मनमोहन सरकार के कुछ मंत्री भी शेखावत के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। शक नहीं है कि यदि संप्रग ने राष्ट्रपति पद के लिए मजबूत उम्मीदवार नहीं उतारा तो बहुमत अल्पमत में बदल सकता है।
जदयू सांसद दिग्विजयसिंह के अनुसार 18 जून को भैरोसिंह शेखावत की उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा की जाएगी। शेखावत निर्दलीय उम्मीदवार होंगे और राजग उनको अपना समर्थन देगा।
क्यों है खौफ : उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में शेखावत के पक्ष में 57 सांसदों ने पार्टी सीमा लाँघकर मतदान किया था। यदि इतने ही सांसद फिर शेखावत को वोट देते हैं तो उनका कुल वोट मूल्य 40356 होता है।
राजग के पास 3.54 लाख और तीसरे मोर्चे के पास 1.05 लाख वोट हैं। सारे वोट शेखावत के पक्ष में जाने पर उनकी कुल वोट संख्या 4.99 लाख हो जाती है, जो संप्रग के कुल वोट 5.13 लाख से कुछ ही कम हैं।