Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सुब्रत राय को नहीं मिली जमानत, जेल में मनेगी होली

हमें फॉलो करें सुब्रत राय को नहीं मिली जमानत, जेल में मनेगी होली
नई दिल्ली , गुरुवार, 13 मार्च 2014 (19:52 IST)
FILE
नई दिल्ली। सुब्रत राय को होली तिहाड़ जेल में ही मनानी पड़ सकती है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों का 20 हजार करोड़ रुपए लौटाने के बारे में नया प्रस्ताव पेश करने में सहारा समूह के विफल रहने के कारण गुरुवार को उन्हें जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की पीठ ने कहा कि यदि सहारा समूह निवेशकों का धन लौटाने के लिए नया प्रस्ताव रखेगा तो उनकी जमानत पर विचार किया जाएगा। न्यायालय ने 2500 करोड़ रुपए का तुरंत भुगतान करने और शेष राशि किस्तों में देने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। इस प्रस्ताव को न्यायालय पहले भी ठुकरा चुका था।

न्यायाधीशों ने कहा, यदि कोई नया प्रस्ताव होगा तो हम विचार करेंगे। न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी द्वारा जमानत के अनुरोध पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस अदालत के निर्देशों पर अमल करते हुए भुगतान के लिए कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं पेश किया गया है।

तिहाड़ जेल में चार मार्च से बंद 65 वर्षीय सुब्रत राय की ओर से जेठमलानी ने जमानत देने का अनुरोध किया ताकि वह अपने परिवार के साथ होली मना सकें और गंभीर रूप से बीमार मां के साथ समय बिता सकें। न्यायाधीशों ने कहा, हम बार बार आपसे कह रहे हैं कि आपका प्रस्ताव क्या है। हमें बताएं कि आप कितना धन दे सकते हैं। चाभी तो आपके ही हाथ में है।

जेठमलानी ने कहा कि इससे अधिक धन की व्यवस्था करना हमारे लिए संभव नहीं है क्योंकि सुब्रत राय के जेल में रहते हुए कोई भी हमारी मदद के लिए आगे नहीं आएगा और सिर्फ वही धन का बंदोबस्त कर सकते हैं। न्यायाधीशों ने जेठमलानी का यह अनुरोध ठुकारते हुए हिरासत के खिलाफ सुब्रत राय की याचिका पर सुनवाई 25 मार्च के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले जेठमलानी ने कल इस मामले में आगे बहस करने में असमर्थता व्यक्त की। अगले सप्ताह होली के अवसर पर न्यायालय में अवकाश है। शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ राय की याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ दो बजे बैठी और उसने कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवाई की। न्यायालय के कक्ष में भी दिल्ली पुलिस के कुछ सुरक्षाकर्मी मौजूद थे।

सुनवाई के दौरान राय के वकील ने कहा कि उनकी हिरासत गैरकानूनी और असंवैधौनिक है। बहस के दौरान न्यायाधीशों और वकीलों के बीच कई बार हास परिहास के भी अवसर आए।

मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें याचिका में शर्मिंदगी वाली कोई बात नजर नहीं आई जैसा कि उसके आदेश की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कल जेठमलानी ने कहा था। साथ ही न्यायाधीशों ने जेठमलानी से जानना चाहा कि क्या भुगतान के बारे में कोई नया प्रस्ताव है।

जेठमलानी ने कहा कि राय के जेल में बंद होने के कारण स्थिति और खराब हो गई है। लोग जेल में बंद व्यक्ति से किसी तरह की अपेक्षा नहीं करते हैं। यदि वह बाहर आते हैं तो हम समस्या का सर्वश्रेष्ठ समाधान खोज सकते हैं। यदि वह जेल में होंगे तो कोई भी हमारी मदद नहीं करेगा।

उन्होंने कहा, जमानत मेरा अधिकार है और मेरे लिए चीजों को अधिक मुश्किल नहीं बनाया जाए, लेकिन न्यायाधीशों ने राय को किसी प्रकार की राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें पिछले डेढ़ साल में काफी मौके दिए गए हैं और साथ ही सेबी के वकील से कहा कि याचिका की विचारणीयता पर बहस की जाए।

राय की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति देते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि हमने कई बार यहां तक निष्पादित मामले में भी अपने आदेश में सुधार किया है लेकिन हम समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या रिट याचिका पर ऐसा किया जा सकता है। हिरासत के खिलाफ राय की याचिका का विरोध करते हुए सेबी ने कहा कि उन्हें हिरासत में रखने का आदेश वैध और कानून सम्मत हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा, यदि कोई व्यक्ति ऐसा आचरण करता है तो फिर और किस तरह का आदेश दिया जा सकता है। आदेश पूरी तरह न्यायोचित है और यह न्यायालय के आदेश का पालन कराने का हथियार है। उन्होंने कहा कि 250 रुपए का भुगतान नहीं करने पर किसी व्यक्ति को आय कर विभाग छह महीने तक हिरासत में रख सकता है और यह तो 25 हजार करोड़ रुपए का मामला है।

सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि 4 मार्च के आदेश में मूलभूत और प्रक्रियागत त्रुटि है। उन्होंने कहा कि इस आदेश में गंभीर त्रुटि है क्योंकि इसमें एक तरह से 22,500 करोड़ रुपए का जमानती मुचलका निर्धारित किया गया है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi