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सेतुसमुद्रम के निर्माण पर रोक से इनकार

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नई दिल्ली (वार्ता) , शुक्रवार, 10 अगस्त 2007 (21:26 IST)
उच्चतम न्यायालय सेतुसमुद्रम परियोजना के निर्माण पर रोक लगाने के लिए सरकार को कोई अंतरिम निर्देश देने से शुक्रवार को इन्कार कर दिया।

न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की खंडपीठ ने पौराणिक महत्व के रामसेतु को नहीं तोड़ने का निर्देश देने के लिए डंडी स्वामी श्री विद्यानंद भारतीजी की ओर से दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।

याचिकाकर्ता के वकील केके वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि सरकार रामसेतु को नुकसान नहीं पहुँचाने तथा परियोजना के तहत आगे कोई भी निर्माण कार्य नहीं करने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय में किए गए अपने वायदे के कारण जवाबी हलफनामा दाखिल करने से बच रही है।

वेणुगोपाल के इस बयान का अतिरिक्त सोलीसिटर जनरल आर. मोहन ने कड़ा विरोध किया और कहा कि सरकार ने उच्च न्यायालय में ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया है। मोहन ने उच्चतम न्यायालय में भी ऐसा कोई आश्वासन देने से इनकार कर दिया।

न्यायालय ने इस याचिका को भी इस मामले में दायर अन्य याचिकाओं के साथ ही सूचीबद्ध कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को सेतुसमुद्रम को धरोहर स्थल घोषित करने की माँग की गई है। इनमें से कई याचिकाओं में इस आधार पर रामसेतु को तोड़ने पर रोक लगाने की माँग की गई है क्योंकि इससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आघात पहुँचेगा।

याचिका के अनुसार बाँध के 20.84 प्रतिशत हिस्से पर पहले ही अतिक्रमण किया जा चुका है तथा इसके निर्माण से क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा।

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