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सोमनाथ पर पद छोड़ने का दबाव

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हमें फॉलो करें सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष परमाणु करार
नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 15 जुलाई 2008 (20:58 IST)
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी पर पद छोड़ने के लिए दबाव आज और बढ़ गया। इस बीच इस तरह की भी खबरें हैं कि उन्होंने माकपा प्रमुख को पत्र लिखकर सदन में विश्वास मत पर भाजपा के साथ मिलकर पार्टी के मतदान करने पर एतराज जताया है।

उधर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने राज्य के उद्योग मंत्री निरुपम सेन के साथ माकपा के वयोवृद्ध नेता ज्योति बसु से मुलाकात की ताकि चटर्जी को पार्टी लाइन का सम्मान करते हुए पद छोड़ने के लिए राजी किया जा सके। भट्टाचार्य की बसु से गत रविवार से यह दूसरी बार मुलाकात है।

चटर्जी ने अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है कि वे क्या करना चाहते हैं और न ही उन्होंने कोलकाता के एक दैनिक में आज प्रकाशित उस पत्र के बारे में कुछ भी कहा, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर माकपा महासचिव से पूछा है कि विश्वास मत में कांग्रेस को पराजित करने के लिए सांप्रदायिक भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला क्यों किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार पत्र में चटर्जी ने कहा कि वे लोकसभा अध्यक्ष के पद पर सत्ता के मोह के कारण नहीं बने रहना चाहते। वे मान रहे हैं कि अगर वह लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बने रहे तो उन्हें पार्टी के निर्देशों के अनुरूप सांप्रदायिक ताकतों से हाथ नहीं मिलाना पड़ेगा। करात ने इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी पत्र लिखने की आदत नहीं है।

उन्होंने अपने पुराने वक्तव्य को दोहराया जिसमें कहा गया था कि पार्टी ने इस संबंध में फैसला लोकसभा अध्यक्ष पर ही छोड़ दिया है। पद छोड़ने के प्रति अनिच्छुक दिख रहे लोकसभा अध्यक्ष ने कहा है कि यह पद दलगत राजनीति से ऊपर है। करात ने इस संबंध में बसु से भी मुलाकात की थी।

इस बीच सपा महासचिव अमरसिंह और उनकी पार्टी के दो अन्य नेताओं ने चटर्जी से मुलाकात की और उनसे लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बने रहने की अपील की।

सोमनाथ इस्तीफा दें : तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि संसदीय परंपरा की माँग यही है कि लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वे संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने वाली माकपा के सांसद हैं।

ममता ने कहा कि मेरी सोमनाथ से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन औचित्य और संसदीय परंपरा की माँग है कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि वे पार्टी के व्यक्ति नहीं हैं तो उन्होंने ज्योति बसु से क्यों मुलाकात की।

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