दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक स्टिंग ऑपरेशन चलाने वाले दो पत्रकारों के खिलाफ लगाए गए आरोप खारिज कर दिए।
दोनों पत्रकारों ने वर्ष 2005 में संसद में सवाल पूछने के लिए कथित तौर पर धन की माँग करने वाले तत्कालीन सांसदों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन चलाया था।
न्यायमूर्ति एस एन धींगरा ने निचली अदालत का छह जुलाई 2009 का आदेश खारिज कर दिया जिसमें दो पत्रकारों अनिरूद्ध बहल और सुहासिनी राज के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लिया गया था।
अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाने से इस देश के वह लोग हतोत्साहित होंगे जो संविधान के अनुसार अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे।
कोबरा पोस्ट डॉट कॉम वेबसाइट से संबद्ध अनिरूद्ध और सुहासिनी ने विशेष जज द्वारा जारी समन आदेश को चुनौती दी थी। यह समन आदेश जज ने उस आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए जारी किया था जो अनिरूद्ध, सुहासिनी और दागी सांसदों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दाखिल किया था।
जिरह के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने अनिरूद्ध और सुहासिनी के खिलाफ कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कहा कि उन्होंने तत्कालीन सांसदों को धन देने की पेशकश की, जो एक तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना था।
बचाव पक्ष के वकील ने जवाब दिया कि अगर सांसदों को धन की पेशकश नहीं की जाती तो स्टिंग ऑपरेशन नहीं हो पाता।
संसद में दिसंबर 2005 में सवाल पूछने के लिए कथित तौर पर धन लेते हुए 11 सांसदों को कैमरे में कैद किया गया था।
संसद के दोनों सदनों की जाँच समिति ने 11 तत्कालीन सांसदों को निष्कासित करने की सिफारिश की थी। इनमें से दस सांसद लोकसभा के और एक राज्यसभा से थे। (भाषा)