मधुमेह नियंत्रण के लिए पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले इन दो नुस्खों को वैज्ञानिक तौर पर अति कारगर साबित किया जा चुका है, आज हम जिक्र करेंगे दो ऐसे नुस्खों को जिन्हें पारंपरिक हर्बल जानकार बतौर कारगर उपाय मधुमेह के रोगियों को देते हैं। मधुमेह का जो इलाज चल रहा है उसे बंद करने की जरूरत नहीं है।
मधुमेह पर नियंत्रण के लिए सदियों से पारंपरिक तौर पर स्थानीय आदिवासी इन नुस्खों का इस्तेमाल कर रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान भी इनके असर को स्वीकार कर चुका है। पहले से चले आ रहे इलाज को बंद न करें, उन औषधियों के साथ इन नुस्खों को भी आजमाएं। फायदा जरूर होगा।
1. एक चम्मच अलसी के बीजों को अच्छी तरह से चबाकर खाइए और दो गिलास पानी पीजिए। ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले करना है।
2. दालचीनी की छाल का चूर्ण तैयार कर लीजिए और आधा चम्मच चूर्ण एक कप पानी में मिला लीजिए और इस मिश्रण को दोपहर और रात खाना खाने से पहले प्रतिदिन लीजिए।
इन दोनों नुस्खों की शुरुआत करने से पहले अपने इंसुलिन लेवल की जांच अवश्य करें ताकि एक पन्द्रह दिनों बाद जब पुन: जांच की जाए तो फर्क दिखाई दें।
पादप विज्ञान जगत के अनेक शोध पत्रों में इन फार्मुलों से गजब के परिणामों का दावा किया गया है, आदिवासी हर्बल जानकार तो इन फार्मुलों को सैकड़ों सालों से लोगों पर आजमा रहे हैं।