कई तरह के फलों एवं सब्जियों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक यौगिक शरीर में कोशिकाओं को पहुंचने वाले नुकसान का स्तर कम कर बुढापे से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के आधार पर यह बात कही है।
अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के अनुसंधाकर्ताओं का कहना है कि जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है उनमें क्षतिग्रस्त कोशिकाएं जमा होने लगती हैं जो एक निश्चित स्तर पर खुद भी उम्रदराज होने लगती हैं जिसे कोशिकीय शिथिलता यानि ‘सेलुलर सेनेसेंस’कहा जाता है।
एक युवा व्यक्ति का प्रतिरोधक तंत्र स्वस्थ होता है और बिगड़ी हुई कोशिकाओं को हटाने में सक्षम होता है। हालांकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है ये कोशिकाएं बहुत प्रभावी ढंग से नहीं हट पाती हैं।
नतीजन वे जमा होनी शुरू हो जाती हैं जिससे मामूली सूजन होने लगती है और ऐसे एंजाइम छोड़े जाते हैं जो ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं।
नए अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फिसेटिन नाम का प्राकृतिक पदार्थ शरीर में इन क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के स्तर को घटाता है। यह अध्ययन ईबायोमेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।