शुद्ध शिलाजीत सूर्यतापी : धातु रोग, धातुक्षय, दुर्बलता, अन्य मूत्र विकार, प्रमेह, स्वप्नदोष तथा अनेक रोग नाशक। धातु पौष्टिक एवं शक्तिवर्द्धक है। मात्रा 2 से 3 रत्ती सुबह-शाम दूध से।
शुद्ध गंधक आमलासार : रक्त विकार, फोड़े-फुंसी, खाज-खुजली, चकत्ते, चर्म विकार आदि पर लाभकारी एवं खून साफ करता है। मात्रा 2 से 4 रत्ती सुबह-शामल दूध से।
सिरका गन्ना : पाचक, रुचिकारक, बलदायक, स्वर शुद्ध करने वाला, श्वास, ज्वर तथा वात नाशक। मात्रा 10 से 25 मि.ली. सुबह-शाम भोजन के बाद।
सिरका जामुन : यकृत (लीवर) व मेदे हेतु लाभकारी। खाना हजम करता है, भूख बढ़ाता है, पेशाब लाता है व तिल्ली के वर्म को दूर करने की प्रसिद्ध दवा। मात्रा 10 से 25 मि.ली. सुबह-शाम भोजन के बाद।