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Navratri 2024: कौन से हैं माता के सोलह श्रृंगार, जानिए हर श्रृंगार का क्या है महत्व

आखिर क्यों है हिन्दू धर्म और संस्कृति में माता के 16 श्रृंगार की इतनी महिमा

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024 (14:41 IST)
Mata ke 16 Shringar

Mata ke 16 Shringar : हिन्दू धर्म और संस्कृति में माता के 16 श्रृंगार एक विशेष महत्व रखते हैं। यह श्रृंगार देवी माँ की आराधना में किया जाता है, जो उन्हें सजीव और सुंदर रूप में प्रस्तुत करता है। इन श्रृंगारों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह शक्ति, सौंदर्य, और श्रद्धा का प्रतीक होता है। इन 16 श्रृंगारों के बिना माँ की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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कौन-से हैं 16 श्रृंगार
  1. बिंदी : बिंदी का उपयोग माथे पर देवी माँ के सौंदर्य को और भी बढ़ाने के लिए किया जाता है। बिंदी का धार्मिक महत्व भी है क्योंकि यह आज्ञा चक्र (माथे के मध्य बिंदु) को सक्रिय करता है।  
  1. काजल : काजल का उपयोग माता की आँखों को और भी चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है। यह बुरी नजर से बचाने का प्रतीक भी है।  
  1. कुंकुम : कुंकुम माता के ललाट पर लगाया जाता है, जो देवी को शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक बनाता है। 
  1. मांग टीका : मांग टीका देवी माँ की मांग में लगाया जाता है, जो उनके वैवाहिक और सम्पूर्ण जीवन का प्रतीक है। 
  1. गजरा : माँ के बालों में गजरा या ताजे फूलों का उपयोग उनके सौंदर्य को निखारने के लिए किया जाता है। यह सुगंध और पवित्रता का प्रतीक होता है।  
  1. कर्णफूल : माता के कानों में झुमके या कर्णफूल पहनाए जाते हैं, जो उनकी दिव्यता और सौंदर्य को प्रदर्शित करते हैं।  
  1. हार : माँ के गले में सोने, चाँदी या फूलों की माला पहनाई जाती है, जो उनकी गरिमा और वैभव का प्रतीक है।  
  1. नथ : नथ माता के नाक में पहनाई जाती है, जो उनकी शुद्धता और अद्वितीयता का प्रतीक है। 
  1. चूड़ियां : माँ के हाथों में चूड़ियां पहनाई जाती हैं, जो उनकी स्त्रीत्व और समृद्धि का प्रतीक हैं।
  1. बाजूबंद : बाजूबंद को माता के बाहों पर पहनाया जाता है, जो उनकी शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक होता है। 
  1. अंगूठी : माता के अंगों में अंगूठी पहनाई जाती है, जो उनकी विवाहिता और शक्ति का प्रतीक है। 
  1. कमरबंद : कमरबंद माता की कमर पर बांधा जाता है, जो उनकी गरिमा और शक्ति को बढ़ाता है। 
  1. पायल : माता के पैरों में पायल पहनाई जाती है, जो सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक है। 
  1. बिछिया: बिछिया माता के पैरों में पहनाई जाती है, जो उनकी पवित्रता और वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। 
  1. इत्र या सुगंध : माता को सुगंधित इत्र का उपयोग किया जाता है, जो पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक होता है।
  1. साड़ी : माँ को सुंदर साड़ी पहनाई जाती है, जो उनकी अद्वितीयता और शक्ति को प्रकट करती है।
 
क्या है माता के 16 श्रृंगार का महत्व

माता के 16 श्रृंगार न केवल देवी माँ की सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि यह उन्हें शक्तिशाली और सम्पूर्ण देवी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इन श्रृंगारों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह श्रृंगार देवी की शक्तियों, उनके सौंदर्य, और उनकी दिव्यता को प्रकट करते हैं।

माता के 16 श्रृंगार हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखते हैं। यह श्रृंगार देवी माँ को संपूर्ण रूप में प्रस्तुत करते हैं और उन्हें पूजा के लिए सजीव बनाते हैं। हर श्रृंगार के पीछे एक विशेष अर्थ और महत्व छिपा होता है, जो शक्ति, समृद्धि, और शुद्धता को दर्शाता है। इसलिए, माता के इन 16 श्रृंगारों का सही ढंग से करना उनकी पूजा को पूर्ण और सफल बनाता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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