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क्यों मनाई जाती है शुभ नवरात्रि, पढ़ें मंत्र

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- डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी

नवरात्र पूजन क्यों : 'नवरात्र' शब्द में नव संख्यावाचक होने से नवरात्र के दिनों की संख्या 9 तक ही सीमित होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ देवताओं के 7 दिनों के, तो कुछ देवताओं के 9 या 13 दिनों के नवरात्र हो सकते हैं। सामान्यतया कुल देवता और इष्ट देवता का नवरात्र संपन्न करने का कुलाचार है।

किसी देवता का अवतार तब होता है, जब उसके लिए कोई निमित्त होता है। यदि कोई दैत्य उन्मत्त होता है, भक्तजन परम संकट में फंस जाते हैं अथवा इसी प्रकार की कोई अन्य आपत्ति आती है तो संकट का काल 7 दिनों से लेकर 13 दिनों तक रहता है।

ऐसी काल अवधि में उस देवता की मूर्ति या प्रतिमा का टांक-चांदी के पत्र या नागवेली के पत्ते पर रखकर नवरात्र बैठाए जाते हैं। उस समय स्थापित देवता की षोडशोपचार पूजा की जाती है।

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अखंड दीप प्रज्वलन माला बंधन देवता के माहात्म्य का पठन, उपवास तथा जागरण आदि विविध कार्यक्रम करके अपनी शक्ति एवं कुलदेवता के अनुसार नवरात्र महोत्सव संपन्न किया जाता है।

यदि भक्त का उपवास हो तो भी देवता को हमेशा की तरह अन्न का नैवेद्य देना ही पड़ता है। इस काल अवधि में उत्कृष्ट आचार के एक अंग के स्वरूप हजामत न करना और कड़े ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

असुरों के नाश का पर्व नवरात्रि, नवरात्र मनाने के पीछे बहुत-सी रोचक कथाएं प्रचलित हैं।


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कहा जाता है कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कहने पर दैत्यों ने घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और वर मांगा कि उन्हें कोई पुरुष, जानवर और उनके शस्त्र न मार सकें।

वरदान मिलते ही असुर अत्याचार करने लगे, तब देवताओं की रक्षा के लिए ब्रह्माजी ने वरदान का भेद बताते हुए बताया कि असुरों का नाश अब स्त्री शक्ति ही कर सकती है।

ब्रह्माजी के निर्देश पर देवों ने 9 दिनों तक मां पार्वती को प्रसन्न किया और उनसे असुरों के संहार का वचन लिया। असुरों के संहार के लिए देवी ने रौद्र रूप धारण किया था इसीलिए शारदीय नवरात्र शक्ति-पर्व के रूप में मनाया जाता है।


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लगभग इसी तरह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक देवी के आह्वान पर असुरों के संहार के लिए माता पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए। सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया। इसके बाद देवी ने असुरों का अंत किया। यह संपूर्ण घटनाक्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से 9 दिनों तक घटित हुआ इसलिए चैत्र नवरात्र मनाए जाते हैं।

हम पाठकों की सुविधा, समयाभाव एवं कालगत दोषों को दृष्टिगत रखकर आगामी नवरा‍त्र में स्मरण जप के लिए कुछ सरल प्रयोग-मंत्र दे रहे हैं। विश्वास एवं निष्ठा के साथ इन्हीं मंत्रों से पूजा-प्रार्थना करने से भक्तों पर भगवती न केवल प्रसन्न होती है, वरन् उसकी दुर्लभ मनोकामना भी पूरी करती है।

श्री दुर्गा सप्तशती मंत्र


श्री दुर्गा सप्तशती मंत्र
1. आरोग्य और सौभाग्य के लिए-

देहि सौभाग्यंमारोग्यं देहिमे परमं सुखं रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि

2. सब प्रकार के कल्याण के लिए

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुत


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