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तमे एक वार गुजरात आव जो रे...

गुजरात के गरबे ने मचाई धूम...

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- पारूल चौधरी

अभी नवरात्रि का त्योहार चल रहा है जो सिर्फ भारत मे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। एक तरह से देखें तो गरबा गुजरात की आन, बान और शान है। गरबा गुजरात का लोकनृत्य है। नवरात्रि एक ऐसा पर्व है शक्ति, भक्ति की आराधना के साथ ही बहुत मस्ती भी है। कई साल पहले गुजरात में गरबे की शुरुआत हुई थी। गाँव के चौराहे पर सारी महिलाएँ इकट्ठा होती थीं और मटकी उठाकर उसमे दीया लेके वो माता की छवि के आसपास गरबे घूमती थीं और जगत जननी माता अंबा की आराधना करती थीं। ढोल, नगाड़े के साथ खेले जाते गरबे का रूप आज बदल गया है।

आजकल तो शहरों में डीजे लगाकर गरबे होते हैं। बड़े-बड़े पार्टी प्लॉट में 100 रुपए की एन्ट्री फीस के साथ रात को शुरू हुए गरबे सुबह तक चलते हैं, पर इसका मतबल यह नहीं है कि गाँव में आज गरबे नहीं हो रहे, आज भी गुजरात के गाँवों में पुराने तरीके से ही गरबे होते हैं और लोग सच्ची श्रद्धा से माँ की आराधना करते हैं।

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अब बात करते हैं बड़े शहरों की, वहाँ पर नवरात्रि आने से पहले ही नवरात्रि का माहौल खड़ा हो जाता है। बाजारों में बहुत भीड़ लग जाती है। पूरा बाजार गुजरात का ट्रेडिशनल ड्रेस चनिया चोली और ओक्सोडाइझ के विविध ओर्नामेंट से भर जाता है। इस समय तो दुकानदारों की खासी कमाई हो जाती है। युवक-युवतियाँ दस-पंद्रह दिन पहले ही इसके लिए तैया‍रियाँ शुरू कर देते हैं। कौन से दिन क्या पहनना है, कैसे गरबे खेलने हैं, किसके साथ गरबे खेलेंगे और अलग-अलग एक्शन सीखने के लिए क्लास भी लगती है।

नवरात्रि के पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक खेलने वालों के पैर थकते ही नहीं है। गुजरात में आजकल गुजराती गीतों के अलावा रिमिक्स भी गरबे लिए जाते हैं। डीजे वालों ने उन्हें अपने ढंग से डालकर एक नई तरह से लोगों के सामने पेश कर रहे हैं और लोगों का अच्छा प्रतिसाद भी ‍मिल रहा है। फिर भी आजकल गुजराती गरबों का उतना ही क्रेज है।

गुजरात में गरबे आते ही पूरे गुजरात की एक अलग ही झाँकी दिखाई देती है मानो गुजरात एक अपने अलग ही रंग मे रंग गया है। गरबे तो पूरे भारत में होते हैं पर जो आनंद गुजरात में है वो और कहाँ? गरबे के दिनों में गुजरात की गली-गली और हरेक गुजराती माँ की ‍भक्ति में रम जाता है। नौ दिन तक गरबा खेलने के बावजूद जरा सी भी थकावट महसूस नहीं करते ये गरबे खेलने वाले।

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