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दुर्गा सप्तशती पाठ में रखें 10 बातों का ध्यान

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देवी आराधना हेतु दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है। परंतु विशेष फल प्राप्ति के लिए इसका पाठ विधि-विधान और नियम के साथ किया जाना आवश्यक है। इसके लिए पाठ करते समय इन 10  बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है। जानिए कौन सी हैं यह 10 बातें...

 
1 किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन का विधान है। अत: सप्तशती पाठ से पूर्व भी इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। अगर कलश स्थापना की गई है तो कलश पूजन, नवग्रह पूजन एवं ज्योति पूजन किया जाना आवश्यक है।
2 सप्तशती पाठ से पूर्व श्रीदुर्गा सप्तशती की पुस्तक को शुद्ध आसन पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें। और इसका विधि पूर्वक कुंकुम,चावल और पुष्प से पूजन करें। तत्पश्चात स्वयं अपने माथे पर भस्म, चंदन या रोली लगाकर पूर्वाभिमुख होकर तत्व शुद्धि के लिए 4 बार आचमन करें।
3 श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र के पाठ से पहले शापोद्धार करना जरूरी है। दुर्गा सप्तशती का हर मंत्र, ब्रह्मा, वशिष्ठ और  विश्वामित्र जी द्वारा शापित किया गया है। अत: शापोद्धार के बिना इसका सही प्रतिफल प्राप्त नहीं होता।

4 यदि एक दिन में पूरा पाठ न किया जा सके, तो पहले दिन केवल मध्यम चरित्र का पाठ करें और दूसरे दिन शेष 2 चरित्र का पाठ करें। या फिर दूसरा विकल्प यह है कि एक, दो, एक चार, दो एक और दो अध्यायों को क्रम से सात दिन में पूरा करें।
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5  श्रीदुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्रोत का नित्य पाठ करने से वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय प्राप्त होती है, परंतु इसे पूरे विधान के साथ किया जाना आवश्यक है।
6 श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ''ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे'' का पाठ करना अनिवार्य है। इस नर्वाण मंत्र का विशेष महत्व है। इस एक मंत्र में ऊंकार, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली के बीजमंत्र निहित हैं। 
7 अगर श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में करना कठि‍न लगता हो और आप इसे पढ़ने में असमर्थ हों तो हिन्दी में ही सरलता से इसका पाठ करें। हिन्दी में पढ़ते हुए आप इसका अर्थ आसानी से समझ पाएंगे।

8 श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय यह विशेष ध्यान रखें कि पाठ स्पष्ट उच्चारण में करें, लेकिन जो़र से न पढ़ें और उतावले भी न हों। शारदीय नवरात्र में मां अपने उग्र स्वरूप में होती है। अत: विनयपूर्वक उनकी आराधना करें। नित्य पाठ के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य है।
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9 श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना अवश्य करना चा हिए, ताकि अनजाने में आपके द्वारा हुए अपराध से मुक्ति मिल सके।
10 श्रीदुर्गा सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से, सभी मनोकामना पूरी होती है। इसे महाविद्या क्रम कहते हैं। दुर्गा सप्तशती के उत्तर,प्रथम और मध्य चरित्र के क्रमानुसार पाठ करने से, शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसे महातंत्री क्रम कहते हैं। देवी पुराण में प्रात:काल पूजन और प्रात में विसर्जन करने को कहा गया है। 


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