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आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी व्रत)
  • तिथि- मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-विनायकी चतुर्थी/नौसेना दि., ब्रह्मानंद लोधी ज.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
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नवरात्रि विशेष : नौ दिन की नौ देवी के नौ मंत्र

हमें फॉलो करें नवरात्रि विशेष : नौ दिन की नौ देवी के नौ मंत्र
माता दुर्गा के 9 रूपों की साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की तिथि हैं, उनकी साधना करते हैं। आइए जानें कि हर दिन किस मंत्र से करें देवी आराधना... 



 

(1) माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन-जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं। 

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।'

 

(2) माता ब्रह्मचारिणी : स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।'

 

(3) माता चन्द्रघंटा : मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है। कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।'

 

(4) माता कूष्मांडा : अनाहत चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। रोग, दोष, शोक की निवृत्ति तथा यश, बल व आयु की दात्री मानी गई हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।'


(5) माता स्कंदमाता : इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है। सुख-शांति व मोक्ष की दायिनी हैं। 

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।'

 

(6) माता कात्यायनी : आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है। भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।'

 

(7) माता कालरात्रि : ललाट में ध्यान किया जाता है। शत्रुओं का नाश, कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।'

 
 

(8) माता महागौरी : मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है। इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'

 
 

(9) माता सिद्धिदात्री : मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।

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मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।'

विधि-विधान से पूजन-अर्चन व जप करने पर साधक के लिए कुछ भी अगम्य नहीं रहता। 


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