Ashtami Tithi 2024: चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि दोनों ही नवरात्रियों में अष्टमी तिथि का खास महत्व माना गया है। अधिकांश घरों में इस दिन नवरात्रि के व्रत का पारण होता है और इसी दिन हवन भी होता है। आखिर इस तिथि को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है। 16 अप्रैल 2024 मंगलवार को अष्टमी के दिन माँ महागौरी की पूजा होगी।
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अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की पूजा होती है। महागौरी माता पार्वती का ही एक स्वरूप है।
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अष्टमी के दिन ऐसा मुहूर्त होता है जबकि संधि पूजा होती है। अष्टमी और नवमी तिथि के संधि समय को संधि काल कहते हैं।
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संधि पूजा करने से अष्टमी और नवमी दोनों ही देवियों की एक साथ पूजा हो जाती है। इस पूजा का खास महत्व माना जाता है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मुहूर्त में, देवी चामुण्डा चण्ड एवं मुण्ड नामक दो राक्षसों का वध करने हेतु प्रकट हुई थीं।
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ये तिथि बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है इसलिए इसे महत्वपूर्ण माना जाता है और महाष्टमी कहा जाता है।
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भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।
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अष्टमी तिथि के देवता हैं रुद्र। इस तिथि को भगवान सदाशिव या रुद्रदेव की पूजा करने से प्रचुर ज्ञान तथा अत्यधिक कांति की प्राप्ति होती है। इससे बंधन से मुक्त भी मिलती है। यह द्वंदवमयी तिथि है।
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अधिकतर घरों में की कुल देवी अष्टमी की महागौरी है।
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मनुष्य ही नहीं बल्कि देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर आदि सभी नवरात्रि पर अष्टमी-नवमी को ही पूजते हैं।