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(उत्पन्ना एकादशी)
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  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
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चैत्र नवरात्रि में कब करें कलश स्थापना, जानिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

चैत्र नवरात्र इस बार 9 दिन के होंगे तथा ये शनिवार, 6 अप्रैल 2019 से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के 9 दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा को कलश स्थापना की जाती है। घटस्थापना प्रतिपदा शुरू होने के बाद ही करनी चाहिए। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घटस्थापना करना बेहद शुभ होगा।
 
प्रतिपदा तिथि का आरंभ समय
प्रतिपदा शुरू : 5 अप्रैल को 14.21 से 
प्रतिपदा की समाप्ति : 6 अप्रैल को 15.23 को समाप्त 
 
घटस्थापना का मुहूर्त-
सुबह 7.50 से 9.23 तक शुभ समय में घटस्थापना करना शुभ रहेगा। इसके बाद लाभ के चौघड़िया में 14.04 से 15.00 बजे तक कर सकते हैं, देवी को अर्पित की जाने वाली चीजें चढ़ाएं। देवी को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिन्दूर, लाल साड़ी, लाल चुनरी व आभूषण आदि अर्पित करें।
 
घटस्थापना सुबह के समय की जाती है और 9 दिन तक कलश वहीं रखा रहता है। कलश स्थापना के लिए चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगंधित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगा जल, शहद, शकर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्व पत्र, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चंदन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि चीजों की जरूरत होगी इसलिए पहले से ही इन पूजन सामग्री को एकत्र कर लें।
 
कलश एक मिट्टी के कलश पर स्वस्तिक बनाकर उसके गले में मौली बांधकर उसके नीचे गेहूं या चावल डालकर रखा जाता है और उसके बाद उस पर नारियल भी रखा जाता है।

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