चैत्र नवरात्रि में कई घरों में नवमी को दुर्गा माता की पूजा होती है। इस दिन राम नवमी भी होती हैं। आओ जानते हैं कि नवमी तिथि का ज्योतिष में क्या महत्व है।
1. तिथि कार्य महत्व : नवमी तिथि चन्द्र मास के दोनों पक्षों में आती है। इस तिथि की स्वामिनी देवी माता दुर्गा है। यह तिथि रिक्ता तिथियों में से एक है। रिक्ता अर्थात खाली। इस तिथि में किए गए कार्यों की कार्यसिद्धि रिक्त होती है। यहीं कारण है कि इस तिथि में समस्त शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। मात्र माता की पूजा ही फलदायी होती है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय एवं आंवला नवमी के नाम से मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है और आंवले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है। अश्विन माह की शारदीय नवरात्रि में दुर्गा की पूजा होती है।
2. तिथि वार महत्व : यह तिथि चैत्रमाह में शून्य संज्ञक होती है और इसकी दिशा पूर्व है। शनिवार को सिद्धदा और गुरुवार को मृत्युदा मानी गई है। अर्थात शनिवार को किए गए कार्य में सफलता मिलती है और गुरुवार को किए गए कार्य में सफलता की कोई गारंटी नहीं।
3. दुर्गा नवमी : नवमी तिथि के शुक्ल पक्ष में दुर्गा की पूजा शुभ लेकिन शिव पूजन अशुभ है। हालांकि कृष्ण नवमी को शिव पूजन कर सकते हैं। जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नहीं हो पा रहा है तो जातक दुर्गा नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करके विधिवत समापन करें और कन्याओं को भोज कराएं।
4. राम नवमी : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को राम नवमी के रूप में उत्साह और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम का पूजन और वंदन करने से सुख, समृद्धि और शांति बढ़ती है। साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
5. क्या ना खाएं : नवमी के दिन लौकी खाना निषेध है, क्योंकि इस दिन लौकी का सेवन गौ-मांस के समान माना गया है। इस दिन कड़ी, पूरणपौल, खीर, पूरी, साग, भजिये, हलवा, कद्दू या आलू की सब्जी बनाई जा सकती है।
6. नवमी में जन्मे जातक : नवमी तिथि में जन्म लेने वाला जातक देवों का भक्त होता और पुत्रवान होता है। जातक अपने बाहुबल से विजय पाने की कोशिश करता है। हालांकि उसमें त्याग और समर्पण होता है। इस तिथि में जन्मा जातक धनार्जन में कुशल होता है।