7 अक्टूबर 2021 गुरुवार को अश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का व्रत त्योहार प्रारंभ होने वाला है। इन 9 दिनों में व्रत या उपवास करने का महत्व है। उपवास में कई लोग खिचड़ी, फलाहार आदि उपवास की चीजें खाते हैं साथ ही माता की पूजा के दौरान उन्हें कई तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां जानिए कि माता को 9 दिनों तक कौनसे 9 भोग लगाए जाते हैं।
माता को अर्पित करें ये 9 भोग : पहले दिन घी, दूसरे दिन शक्कर, तीसरे दिन खीर, चौथे दिन मालपुए, पांचवें दिन केला, छठे दिन शहद, सातवें दिन गुड़, आठवें दिन नारियल और नौवें दिन तिल का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही आप इन भोगों को प्रमुखता से प्रतिदिन अर्पित करें। हालांकि हर प्रांत में वहां के स्थानीय व्यंजजों का भोग लगाने की परंपरा है।
1. खीर : खीर कई प्रकार से बनाई जाती है। खीर में किशमिश, बारीक कतरे हुए बादाम, बहुत थोड़ी-सी नारियल की कतरन, काजू, पिस्ता, चारौली, थोड़े से पिसे हुए मखाने, सुगंध के लिए एक इलायची, कुछ केसर और अंत में तुलसी जरूर डालें। उसे उत्तम प्रकार से बनाएं और फिर विष्णुजी को भोग लगाने के बाद वितरित करें। खीर का भोग कई देवताओं को लगता है। खासकर भगवान विष्णु और दुर्गा माता को यह पसंद है। चावल और सेवईयां की खीर बहुत पसंद की जाती है।
2. मालपुए : अपूप वैसे तो एक औषधि का नाम है, लेकिन मालपुए को भी 'अपूप' कहते हैं। 'अपूप' भारत की सबसे प्राचीन मिठाई है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। ऋग्वेद में घृतवंत अपूपों का वर्णन है। पाणिनी के काल में पूरनभरे अपूप ब्याह-बारात, तीज-त्योहार पर खूब बनाए जाते थे। आज भी इसका प्रचलन है। जहां तक सवाल हलवे का है तो पहले इसे 'संयाव' कहा जाता था। मालपुए अक्सर होली और दीपावली के दिन बनाए जाते हैं। माता दुर्गा को मालपुए बहुत पंसद है।
3.मीठा हलुआ : भारतीय समाज में हलवे का बहुत महत्व है। जैसे सूजी का हलुवा, आटे का हलुआ, गाजर का हलुआ, मूंग का हलुआ, कद्दू का हलुआ, लोकी का हलुआ आदि। इसमें से सूजी के हलुवे का भोग लगाया जाता है। सूजी के हलवे में भी लगभग सभी तरह के सूखे मेवे मिलाकर उसे भी उत्तम प्रकार से बनाएं और भगवान को भोग लगाएं। माता दुर्गा ौअर हनुमानजी को हलुआ बहुत पसंद हैं।
4. पूरणपोळी : गुढ़ और चने की दाल को मिलाकर बनाई जाती है पूरणपोली। जैसे आलू के पराठे में आलू भरकर पराठे बनाये जाते हैं उसी तरह गुढ़ और चले के मिश्रण को भरकर पराठे बनाये जाते हैं। इसमें तेल के बजाय घी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें इलायची और जायफल भी मिलाया जाता है। तीज-त्योहार और नवरात्रि के मौके पर यह बनायी जाती है। मां दुर्गा को प्रतिदिन इसका भोग लगाने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
5. मीठी बूंदी : बेसन, कश्कर, इलाइची और घी का इस्तेमाल करके मीठी बूंदी बनाई जाती है। एक दूसरी नमकीन, चर्की और फीकी बूंदी भी होती है जो रायते में डाली जाती है। माता दुर्गा को मीठी बूंदी का भोग लगाया जाता है।
6. घेवर : घेवर भी छप्पन भोग में से एक है। इस आटे या मैदे से बनाया जाता है जो मधुमक्खी के छत्ते के जैसा गोल दिखाई देता है और यह कुरकुरा और मीठा पकवान है। इसके बगैर कोई भी तीज या त्योहार नहीं बनता है। मान्यता है कि माता दुर्गा को यह बेहद पसंद है। घेवर राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है।
7. फल : फल में अनार, केला और नारियल माता को अर्पित किए जाते हैं।
8. मिष्ठान : मिष्ठान में माता को पीला पेड़ा और गुलाब जामुन अर्पित किया जाता है।
9. अन्य खाद्य पदार्थ : अन्य चीजों में घी, शहद, तिल, काला चना और गुड़ का भोग लगाएं। इसके अलावा माता के लिए आप कड़ी, केसर भात, साग, पूड़ी, भजिये, कद्दू या आलू की सब्जी भी बनाकर भोग लगा सकते हैं।