नवरात्रि में चैत्र या शारदीय नवरात्रि में अधिकतर घरों में अष्टमी या नवमी को व्रत का पारण करके दुर्गा सप्तशती, दुर्गा कवच, अर्गला या चण्डी पाठ किया जाता है। कुछ घरों में तो पूरे नौ दिन तक यह पाठ किया जाता है। विद्वान लोगों का मानना है कि इन पाठ को पढ़ते समय कुछ सावधानियों का पालन भी करना चाहिए उन्हीं में से 5 प्रमुख सावधानियों की संक्षिप्त जानकारी आपके लिए।
1. शुद्ध उच्चारण : यह सभी जानते हैं कि हनुमानजी ने 'ह' की जगह 'क' करवा दिया था जिससे रावण की यज्ञ की दिशा ही बदल गई थी। उसी तरह हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि दुर्गा सप्तशती या चण्डी पाठ में उच्चारण की शुद्धता कितनी जरूरी है।
2. स्वच्छ और सुगंधित वातावरण : चण्डी पाठ करने से पहले कमरे को शुद्ध, स्वच्छ, शान्त व सुगंधित रखना चाहिए। माता दुर्गा के स्थापित स्थान या मंदिर के आस-पास या मंदिर में किसी भी प्रकार की अशुद्धता न हो।
3. पवित्रता का रखें ध्यान : चण्डी पाठ या दुर्गा शप्तशती के दौरान रजस्वला स्त्रियों को उक्त पूजा स्थान या मंदिर से दूर ही रहना चाहिए, अन्यथा चण्डीपाठ करने वाले व्यक्ति को बहुत ही तीव्र दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं।
4. ब्रह्मचर्य का करें पालन : चण्डी पाठ के दौरान पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए और वाचिक, मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वच्छता का पालन करना चाहिए।
5. साहस और संयम रखें : चण्डी पाठ के दौरान सामान्यत: चण्डीपाठ करने वालों को तरह-तरह के अच्छे या बुरे आध्यात्मिक अनुभव होते हैं। उन अनुभवों को सहन करने की पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ ही चण्डीपाठ करना चाहिए।
कहते हैं कि आप जिस इच्छा की पूर्ति के लिए चण्डीपाठ करते हैं, वह इच्छा नवरात्रि के दौरान या अधिकतम दशमी तक पूर्ण हो जाती है लेकिन यदि आप लापरवाही व गलती करते हैं, तो इसी दौरान आपके साथ अकल्पनीय घटनाएं अथवा दुर्घटनाएं भी घटित होती हैं।