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(दीपावली पूजन)
  • तिथि- आश्विन कृष्ण अमावस
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-दीपावली/भ. महावीर निर्वाण, लक्ष्मी पूजन
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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Navratri 2020 : महामारी और आपदा के लिए अचूक दुर्गा सप्तशती विशेष मंत्र, नवरात्रि में जरूर जपें

हमें फॉलो करें Navratri 2020 : महामारी और आपदा के लिए अचूक दुर्गा सप्तशती विशेष मंत्र, नवरात्रि में जरूर जपें
सृष्‍टि का संहार और पालन करने की अपार शक्ति मां दुर्गा के पास है। मां अपने भक्तों के लिए विशेष कृपालु होती है और अपने भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर देती है। प्रस्तुत है सरल और चमत्कारी देवी मंत्र :
 
इन दिनों पूरा विश्व एक भयानक महामारी से ग्रस्त है। ऐसे में नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र निरंतर जपने और हवन के साथ आहुति देने से असरकारी सिद्ध हो सकता है। 
महामारी विनाश के लिए :
 
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
 
मंत्र जप संख्या 2100, हवन संख्या 1000, हवन सामग्री- घृत, चंदन।
भक्ति की प्राप्ति के लिए:
 
नतेभ्य: सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
 
मंत्र जप संख्या 5000, हवन संख्या 2100, हवन सामग्री- घृत, मधु।
मंगल प्राप्ति के लिए :
 
सर्वमंगमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते।
 
मंत्र जप संख्या 10000, हवन संख्या 3100, हवन सामग्री- घृत, कमल गट्‍टा।
मोक्ष प्राप्ति के लिए :
 
त्वं वैष्णवो शक्तिरनन्तवीर्या विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत् त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्ति हेतु:।।
 
मंत्र जप संख्या 2100, हवन संख्या 101, हवन सामग्री- घृत।
विपत्ति नाश के लिए :
 
शरणागतदीनार्थपरित्राण परायणे।
सर्वस्तयार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।
 
मंत्र जप संख्या 5000, हवन स. 1000, हवन सामग्री - घृत।
बाधा निवारण और शत्रु विनाश के लिए :
 
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या‍‍‍खिलेश्वरी।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्‍वैरी विनाशनम्।।
 
मंत्र जप संख्या 10000, हवन संख्या 5000, हवन सामग्री- काली मिर्च, घृत।
सर्वबाधा निवारण के लिए :
 
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
 
मंत्र जप संख्या 5000, हवन संख्या 1100, हवन सामग्री-सरसों व घृत।
मनोनुकूल पत्नी के लिए :
 
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणी दुर्गसंसार सागरस्य कुलोद्‍भवाम्।।
 
मंत्र जप संख्या 3000, हवन संख्या 1000, हवन सामग्री- घृत।
भय नाश के लिए :
सर्वस्वरूपे सर्वज्ञे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयैभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते।।
 
मंत्र जप संख्या 5000, हवन संख्या 2100, हवन सामग्री- घृत।
 
यहां सप्तशती में वर्णित मंत्रों की मात्र जानकारी दी गई है, प्रयोग स्वविवेक और किसी विशेषज्ञ से पूछ कर करें। 
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