Gupt Navratri 2022: आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इस वर्ष 2022 में माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी 2022 से प्रारंभ होकर 10 फरवरी तक रहेगी। इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा और साधना की जाती है आओ जानते हैं कि महाविद्या कौन हैं, कहाँ निवास करती हैं? कैसे होती हैं प्रसन्न? क्या देती हैं वरदान?
महाविद्या कौन हैं : माता दुर्गा के ही दक्षिणमार्गी नौ रूपों के अलावा वाममार्गी अन्य 10 रुपों को ही 10 महाविद्या कहते हैं। 10 महाविद्याओं के नाम है- 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला। उक्त दस महाविद्याओं का संबंध अलग अलग देवियों से हैं।
कहां निवास करती हैं : प्रत्येक माता का एक शक्तिपीठ है जहां पर उनका निवास होता है। जैसे माता कालिका कोलाकाता में कालीघाट, गुजरात में पावागढ़, मध्यप्रदेश में मय्यर, उज्जैन में गढ़कालिका स्थान पर निवास करती है। माता तारा का शक्तिपीठ बंगाल में बिरभूमी में और हिमाचल में तारापीठ है। त्रिपुरसुंदरी राजस्थान के उदयपुर के पास। भुनेश्वरी का निवास है। छिन्नमस्ता झारखंड के रजरप्पा भैरवीभेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर। त्रिपुरभैरवी का त्रिपुरा में। धूमावती का निवास है। बगलामुखी का कांगड़ा, दतिया और नलखेड़ा में। मातंगी का कर्नाटक में। कमला का निवास है।
कैसे होती हैं प्रसन्न : सभी माताएं पूजा से नहीं साधना करने से प्रसन्न होती हैं। इनकी गुप्त नवरात्रि में विशेष साधना होती है। प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला:- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा:- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा:- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। व्यक्ति को साधना के अनुसार ही चयन करके साधना करना चाहिए।
क्या देती हैं वरदान? : प्रत्येक माता अलग अलग वरदान देती है। जो व्यक्ति जिस इच्छा से साधना करता है उसे वह वरदान मिलता है। यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामने से भी की जाती है। गुप्त नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु मनाया जाता है।