Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-छठ पारणा, सहस्रार्जुन जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

गुप्त नवरात्रि कब से शुरू होगी? जानिए महत्व और पूजा मंत्र

हमें फॉलो करें गुप्त नवरात्रि कब से शुरू होगी? जानिए महत्व और पूजा मंत्र

अनिरुद्ध जोशी

, शुक्रवार, 20 जनवरी 2023 (13:12 IST)
Gupta Navratri 2023: वर्ष में दो गुप्त नवरात्रियां आती हैं। पहले आषाढ़ माह में और दूसरी माघ माह में। माघ माह की गुप्त नवरात्रि का खास महत्व रहता है। यह साधना, दान, पुण्य और पूजा का माह है। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि 22 जनवरी से प्रारंभ हो रही है और 30 जनवरी को यह समाप्त होगी। जानिए महत्व और पूजा का मंत्र।
 
गुप्त नवरात्रि का महत्व | Gupta Navratri ka mahatva : गुप्त अर्थात छिपा हुआ। इस नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि हेतु साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है और तंत्र साधना को गुप्त रूप से ही किया जाता है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। साधकों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। यह साधना की नवरात्रि है उत्सव की नहीं। इसलिए इसमें खास तरह की पूजा और साधना का महत्व होता है। यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्‍त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्‍ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामना से भी की जाती है।
 
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है जिनके नाम है- 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला। उक्त दस महाविद्याओं का संबंध अलग अलग देवियों से हैं।
webdunia
पूजा के मंत्र : इस नवरात्रि में आप जिस भी देवी की पूजा या साधना करते हैं पूजा में उनके मंत्र का ही जाप करते हैं। 
 
1. काली : ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा:।
 
2. तारा : ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।
 
3. त्रिपुर सुंदरी : श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।
 
4. भुवनेश्वरी : ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं।
 
5. छिन्नमस्ता : श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा:।
 
6. त्रिपुरभैरवी : ह स: हसकरी हसे।'
 
7. धूमावती : धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।
 
8. बगलामुखी : ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा:।
 
9. मातंगी : श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा:।
 
10. कमला : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi