Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्दशी तिथि)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल चतुर्दशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा/शिवदमनक चतुर्दशी
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

बंगाल में दो तरह की दुर्गा पूजा का रहस्य

Advertiesment
हमें फॉलो करें West Bengal

अनिरुद्ध जोशी

पश्‍चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की धूम पंचमी से प्रारंभ होती है। कोलकाता में तो श्रद्धा और अस्था का यह ज्वार देखने के लिए विश्‍वभर से लोग आते हैं। यहां दो तरह से दुर्गा पूजा होती है। पहली पारा दुर्गा और दूसरी बारिर दुर्गा।
 
 
1.पारा दुर्गा पूजा : पारा दुर्गा यानि स्थानीय दुर्गा पूजा जो सामान्यत: पंडालों के कम्यूनिटी हाल में होती है। इसमें घर के बाहर चौराहों या विशेष जगहों पर भव्य पांडाल लगाए जाते हैं और उसमें रोशनी एवं कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया जाता है। पांडालों में देवी मां की सुन्दर और मनोहारी मूर्तियां रखी होती है।
 
 
2.बारिर दुर्गा पूजा : बारिर का अर्थ घर में पूजा। यह पूजा कोलकाता के लगभग सभी घरों में होती है। घासकर धनी घरों में यह भव्य होती है। इसका मकसद परिवार को सभी लोगों को जोड़ना होता है। वहीं उत्तरी कोलकाता में बारिर परंपरा के अनुसार दुर्गा पूजा होती है।

इतिहास : 
बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। यह उत्सव प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। शाक्त धर्म का गढ़ रहा है असम और बंगाल। दरअसल, नारी शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का समूचे बंगाल में आधिपत्य रहा था। अविभाजित बंगाल में माता के कई शक्तिपीठ भी हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

3 अक्टूबर 2019 गुरुवार, आज इन 4 राशि वालों की यात्रा रहेगी लाभदायक