आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर 9 दिन तक चलने वाला नवरात्र 'शारदीय नवरात्र' कहलाता है। 'नव' का शाब्दिक अर्थ नौ है। इसके अतिरिक्त इसे नव अर्थात नया भी कहा जा सकता है।
शारदीय नवरात्रों में दिन छोटे होने लगते हैं। मौसम में परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है। प्रकृति सर्दी की चादर में सिकुड़ने लगती है। ऋतु के परिवर्तन का प्रभाव जनों को प्रभावित न करे इसलिए प्राचीनकाल से ही इस दिन से 9 दिनों के उपवास का विधान है।
इस अवधि में उपासक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगाने से स्वयं को भीतर से शक्तिशाली बना सकता है। उपवास करने से उसे उत्तम स्वास्थ्य सुख के साथ पुण्य प्राप्त होता है। इन 9 दिनों को शक्ति की आराधना का दिन भी कहा जाता है।
नवरात्रों में माता के 9 रूपों की आराधना की जाती है। माता के इन 9 रूपों को हम देवी के विभिन्न रूपों की उपासना, उनके तीर्थों के माध्यम समझ सकते हैं।
वर्ष में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से 9 दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक 6 मास बाद आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से विजयादशमी से एक दिन पूर्व तक माता की साधना और सिद्धि प्रारंभ होती है। दोनों नवरात्रों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है।