Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-छठ पारणा, सहस्रार्जुन जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, देवी कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती

हमें फॉलो करें Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, देवी कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती
इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि में चौथे दिन सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति मानी जाने वाली मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं। 
 
मां कूष्मांडा पूजा विधि-Kushmanda Puja Vidhi
 
- नवरात्रि में इस दिन भी रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें। 
 
- इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। 
 
- देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए। 
 
- मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे।
 
- देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। 
 
- मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं। 
 
- पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।
 
-  यह देवी योग-ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करती हैं। इसलिए, देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए। 
 
- अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। 
webdunia
देवी कूष्मांडा के मंत्र और श्लोक-Kushmanda Mantra
 
श्लोक- 
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
 
मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
 
उपासना मंत्र- देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
 
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
 
मंत्र- या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
 
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
 
चौथे दिन का भोग- आज के दिन मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है। और इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है। 
webdunia
 
मां की आरती-Kushmanda ki Aarti 
 
चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका
आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥
 
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥
 
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥
 
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां
नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां॥
 
जय मां कूष्मांडा मैया।
नवरात्रि के चौथे दिन होगी देवी कूष्मांडा की पूजा, पढ़ें पौराणिक कथा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Chaitra Navratri Katha 2023: नवरात्रि के चौथे दिन होगी देवी कूष्मांडा की पूजा, पढ़ें पौराणिक कथा