Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

शारदीय नवरात्रि 2020 : जानिए Navratri की 9 देवियां और उनके विशेष मंत्र

हमें फॉलो करें शारदीय नवरात्रि 2020 : जानिए Navratri की 9 देवियां और उनके विशेष मंत्र
webdunia

आचार्य राजेश कुमार

Navratri Mantra 2020
 
* नवरात्रि की 9 देवियां और उनके मंत्र जानिए 
 
नवरात्रि की देवी माता दुर्गा के 9 रूपों का उल्लेख श्री दुर्गा सप्तशती के कवच में है जिनकी साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की हैं, उनकी साधना करते हैं, जैसे प्रतिपदा से नवमी तक क्रमश: देवियां और उनके मंत्र-
 
(1) माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन-जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।'

(2) माता ब्रह्मचारिणी : स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।'

(3) माता चंद्रघंटा : मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है। कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नम:।'

(4) माता कूष्मांडा : अनाहत चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। रोग, दोष, शोक की निवृत्ति तथा यश, बल व आयु की दात्री मानी गई हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।'

(5) माता स्कंदमाता : इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है। सुख-शांति व मोक्ष की दायिनी हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।'

(6) माता कात्यायनी : आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है। भय, रोग व शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।

(7) माता कालरात्रि : ललाट में ध्यान किया जाता है। शत्रुओं का नाश, कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।'

(8) माता महागौरी : मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है। इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'

(9) माता सिद्धिदात्री : मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।
 
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।'
 
विधि-विधान से पूजन-अर्चन व जप करने पर साधक के लिए कुछ भी अगम्य नहीं रहता।

विधान- कलश स्थापना
 
देवी का कोई भी चित्र संभव हो तो यंत्र प्राण-प्रतिष्ठायुक्त तथा यथाशक्ति पूजन-आरती इत्यादि तथा रुद्राक्ष की माला से जप संकल्प आवश्यक है। जप के पश्चात अपराध क्षमा स्तोत्र यदि संभव हो तो अथर्वशीर्ष, देवी सूक्त, रात्रिप सूक्त, कवच तथा कुंजिका स्तोत्र का पाठ पहले करें। गणेश पूजन आवश्यक है। ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन करने से सिद्धि सुगम हो जाती है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वास्तु टिप्स : घर की छत कैसी होना चाहिए, जानिए 7 खास बातें