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आज के शुभ मुहूर्त

(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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नवरात्रि में प्रसन्न होंगी देवी, अगर भूलकर भी ना करें यह 16 गलतियां

हमें फॉलो करें नवरात्रि में प्रसन्न होंगी देवी, अगर भूलकर भी ना करें यह 16 गलतियां
नवरात्रि आरंभ हो गई है। 9 रातों को जागकर माता दुर्गा एवं उनके विभिन्न रूपों को प्रसन्न करने का विधान है। शक्तिस्वरूपा माता श्री महाकाली, महासरस्वती एवं श्री महालक्ष्मी के रूप में भक्तों का कल्याण करने वाली होती है। इन तीनों की प्रसन्नता से ही मनुष्य समस्त सुखों एवं भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त करता है। 

श्री महाकाली शक्ति एवं स्वास्थ्य, माता सरस्वती विद्या एवं बुद्धि एवं महालक्ष्मी अष्टलक्ष्मी को प्रदान करने वाली देवी है। इनको प्रसन्न करना भी आसान है। देवी भागवत के अनुसार नवरात्रि के दिनों में जो यह गलतियां करता है उनसे मां दुर्गा, देवी सरस्वती और मां लक्ष्मी अप्रसन्न होती है। जानिए वह बातें कौन सी हैं. ...
 
1. जो नखों से तृण तोड़ता है, 
2. नखों से पृथ्वी को कुरेदता है, 
3.जो निराशावादी है, 
4. सूर्योदय के समय भोजन करता है,
5. दिन में सोता है 
6. भीगे पैर अथवा वस्त्रहीन सोता है, 
7.निरंतर व्यर्थ की बातें एवं परिहास करता है, 
8.अपने अंगों पर बाजा बजाता है, 
9.सिर में तेल लगाकर उन्हीं हाथों से अन्य अंगों को स्पर्श करता है, उनके घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है।

गरूड़ पुराण के अनुसार ध्यान रखें 4 बातों का 
 
10 .जिस घर में बर्तन बिखरे पड़े रहते हो, 
11. स्त्री एवं माता-पिता का अपमान होता है, 
12. जहां हमेशा कलह होती हो, 
13. अस्वच्छ वस्त्रों को धारण करने वालों के यहां लक्ष्मी का वास नहीं होता, वह यदि इंद्र भी हो तो लक्ष्मी उसको छोड़कर चली जाती है। 
 
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार भूलकर ना करें यह तीन काम 
 
14.शाम को सोते हैं तो , 
15. स्त्रियों को तंग करते हैं तो, 
16. अशिष्ट दंपति हैं तो आपके घर लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी का वास होगा जो दरिद्रता प्रदान करने वाली होती है। 
 
अक्ष्मी के पति का नाम दु:सह है अर्थात ऐसे व्यक्तियों को अपार दु:ख भी सहने पड़ते हैं। जिस घर में स्त्रियों एवं बेटियों को सम्मान दिया जाता है, वहां समस्त देवियां सुखपूर्वक निवास करती हैं एवं भक्तों के समस्त मनोरथ को पूर्ण करती हैं।


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