Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-छठ पारणा, सहस्रार्जुन जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Chandraghanta ki katha: नवदुर्गा नवरात्रि की तृतीया देवी मां चंद्रघंटा की कथा कहानी

हमें फॉलो करें Chandraghanta ki katha

WD Feature Desk

, बुधवार, 10 अप्रैल 2024 (17:56 IST)
Chandraghanta ki katha: नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्र में नवदुर्गा माता के नौरूपों की पूजा होती है। माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में तीसरे दिन तृतीया की देवी है माता चंद्रघंटा। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। आओ जानते हैं माता चंद्रघण्टा की पावन कथा क्या है।
देवी का स्वरूप : देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ब्रह्म का अर्थ तपस्या से है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप : मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं। इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा। ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। 
 
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
 
मां चंद्रघंटा की कथा कहानी- Chandraghanta ki katha Story:
  • पौराणिक कथा के अनुसार जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था।
  • उस काल में महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से हो रहा था। 
  • महिषासुर देवराज देवलोक को अपने कब्जे में लेना चाहता था।
  • जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे विचलिता हो गए।
  • सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समक्ष पहुंचे।
  • ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया।
  • क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली।
  • उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। 
  • उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा दिया।
  • सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया।
  • इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर तका वध कर देवताओं की रक्षा की।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Gangaur Teej 2024: गणगौर तीज के मुहूर्त, विधि, कथा, लोकगीत, रेसिपी सब एक साथ