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Siddhidatri ki Katha: नवदुर्गा नवरात्रि की नवमी की देवी मां सिद्धिदात्री की कथा कहानी

हमें फॉलो करें Siddhidatri devi ki katha

WD Feature Desk

, मंगलवार, 16 अप्रैल 2024 (16:48 IST)
Siddhidatri devi ki katha
Siddhidatri devi ki katha: 9 दिनों तक चलने वाली चैत्र या शारदीय नवरात्रि में नवदुर्गा माता के 9 रूपों की पूजा होती है। माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में नौवें दिन नवमी की देवी है माता सिद्धिदात्री। नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। आओ जानते हैं माता सिद्धिदात्री देवी की पावन कथा क्या है।
 
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
देवी का स्वरूप : मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। इन्हें कमलारानी भी कहते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए। 
 
मां सिद्धिदात्री की कथा कहानी- Navratri 2024 Nine Day Maa siddhidatri ki katha Story:
 
पहली कथा : पौराणिक मान्यताओं अनुसार एक बार पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया था। उस अंधकार में एक छोटी सी किरण प्रकट हुई। धीरे-धीरे यह किरण बड़ी होती गई और फिर इसने एक दिव्य नारी का रूप धारण कर लिया। मां सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को जन्म दिया। इन्हीं देवी मां की शिवजी ने आराधना की। देवी ने उन्हें सिद्धियां प्रदान की। इसी कारण देवी मां भगवती का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री कहलाया। सिद्धिदात्री देवी की ही कृपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ जिसके कारण उनका एक नाम अर्धनारिश्वर पड़ा।
दूसरी कथा : एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब सभी देवी देवता महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए थे तब सभी देवताओं ने त्रिदेवों की शरण ली और फिर तीनों देवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने अपने तेज से मां सिद्धिदात्री को जन्म दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने इन्हें अपने शस्त्र प्रदान किए और माता ने महिषासुर से युद्धकर उसका अंत कर दिया।

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