* चूने और हल्दी के एक टीके से सुधरेगा घर का वास्तुदोष
नवदुर्गा यानी नवरात्रि की 9 देवियां हमारे संस्कार एवं आध्यात्मिक संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं।
* इन सभी देवियों को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिंदूर, लाल वस्त्र साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण तथा खाने-पीने के सभी पदार्थ जो लाल रंग के होते हैं, वही अर्पित किए जाते हैं।
* नवरात्रि पूजन में प्रयोग में लाए जाने वाले रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वस्तिक बनाया जाना शुभ रहता है। इससे माता की कृपा साधक के सारे दुखों को हर सुखों के दरवाजे खोल देती है। साथ ही यह रोली, कुमकुम सभी लाल रंग से प्रभावित होते हैं और लाल रंग को वास्तु में शक्ति और सत्ता का प्रतीक माना गया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आप विजयश्री को अपने मस्तक पर धारण करके अर्थात मुकुट बना के रोली या कुमकुम के माध्यम से पहन लेते हैं।
* नवरात्रि के 9 दिनों तक चूने और हल्दी से घर के बाहर द्वार के दोनों ओर स्वस्तिक चिह्न बनाना चाहिए। इससे माता प्रसन्न हो साधक को सुख और शांति देती है, वहीं अक्सर घरों में शुभ कार्यों में हल्दी और चूने का टीका भी लगाया जाता है जिससे वास्तु दोषों का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति पर नहीं होता है।
* पूजा स्थल को साथ-सुथरा रखना चाहिए।
* यदि आप ऐसी जगह पर हैं, जहां आपके ऊपर बीम है तो उसे ढंकने के लिए चांदनी का प्रयोग किया जाना चाहिए, जैसे हवन के समय यह बीचोबीच में लगाई जाती है।