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आज के शुभ मुहूर्त

(दुर्गा नवमी)
  • तिथि- आश्विन शुक्ल अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहुर्त-श्री दुर्गाष्टमी, श्री दुर्गा नवमी, जवारे विसर्जन, जयप्रकाश नारायण ज.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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शारदीय नवरात्रि में किस वाहन पर सवार होकर विदा हो रही हैं मां दुर्गा, जानें कैसा पड़ेगा प्रभाव?

शारदीय नवरात्रि में डोली पर सवार होकर आई माता जाएंगी मुर्गे पर सवार होकर

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 (13:25 IST)
Durga Visarjan 2024: 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार को माता डोली पर सवार होकर आईं थी जो कि एक अशुभ संकेत था और अब 12 अक्टूबर शनिवार के दिन माता दुर्गा का मुर्गे पर सवार होकर जाना भी शुभ नहीं माना जा रहा है। इससे देश और दुनिया में अमंगलकारी घटनाएं घटती हैं क्योंकि माता के इस वाहन को अमंगलकारी माना जाता है। ये शोक, कष्ट का प्रतीक भी है।
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माता के प्रस्थान की सवारी का संकेत:-
इस बार शारदीय नवरात्र‍ि में माता का आगम डोली पर हुआ था जिसे शुभ नहीं माना गया और अब उनका प्रस्थान मुर्गे पर हो रहा है जिसे भी शुभ नहीं माना जा रहा है। माता की आगमन और प्रस्थान की सवारी वार के अनुसार ही तय होती है। इस साल नवरात्रि 12 अक्टूबर शनिवार को समाप्त हो रही है। ऐसे में माता दुर्गा के प्रस्थान की सवारी चरणायुद्ध (मुर्गा) होगी, जो अशुभ और अमंगलकारी माना जा रहा है। यह शोक और कष्ट का प्रतीक है। यह देश दुनिया पर बुरा प्रभाव डालने वाला है। इससे लड़ाई-झगड़े बढ़ जाएंगे। आंशिक रूप से महामारी फैल सकती है। प्राकृतिक आपदाओं की घटना भी हो सकती है। राजनीतिक उठक-पठक बढ़ जाएगी।
 
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
 
दुर्गा विसर्जन की विधि:-
- महानवमी के दिन मां का विशेष पूजन करके पुन: पधारने का आवाहन कर, स्वस्थान विदा होने के लिए प्रार्थना की जाती है। 
- कलश के जल का छिड़काव परिवार के सदस्यों पर और पूरे घर में किया जाता है ताकि घर का प्रत्येक स्थान पवित्र हो जाए। 
- अनाज के कुछ अंकुर मां के पूजन के समय चढ़ाए जाते हैं। कुछ अंकुर दैनिक पूजा स्थल पर रखे जाते हैं, शेष अंकुरों को बहते पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। 
- कुछ लोग इन अंकुरों को शमी वृक्ष को अर्पित करते हैं और लौटते समय इनमें से कुछ अंकुर केश में धारण करते हैं।
- प्रतिमा विसर्जन के समय विधिवत पंचोपचार पूजा करने के बाद जल में विसर्जन करते समय यह मंत्र बोले- 
 
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। 
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
 
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त:- 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर 03 बजकर 35 मिनट तक है।
 
- ज्ञात हो कि देवी का आठवां रूप मां महागौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर कांति बढ़ती है, सुख में वृद्धि होती है, शत्रु शमन होता है और नवमी के दिन सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री का पूजन-अर्चन करने का विधान है। इसी दिन महानवमी पूजन और विसर्जन करना मंगलकारी माना गया है।
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