शुभ रंग: श्वेत (सफ़ेद) 
	 
	माता का स्वरूप
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	स्कंदमाता की दाहिनी भुजा में कमल पुष्प, बाई भुजा वरमुद्रा में है। इनकी तीन आंखें व चार भुजाएं हैं। वर्ण पूर्णत: शुभ कमलासन पर विराजित तथा  सिंह इनका वाहन है। इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। पुत्र स्कन्द इनकी गोद में बैठे हैं। 
	 
	आराधना महत्व
	 
	शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है। 
	 
	स्कंदमाता (स्कन्द माता) की उपासना से भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मृत्युलोक मे ही उसे परम शांति व सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है। सूर्य मंडल की देवी होने के कारण इनका उपासक आलोकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। साधक को अभिष्ट वस्तु की प्राप्ति होती है तथा उसे महान ऐश्वर्य मिलता है। 
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।