Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में उपवास (व्रत) खोलने और रखने के तरीकों को लेकर घर परिवार में अलग अलग परंपराएं हैं। कई घरों में सप्तमी के दिन ही नवरात्रि का व्रत खोलकर निशा पूजा, कन्या पूजा और भोज का आयोजन करते हैं लेकिन अधिकतर घरों में अष्टमी, नवमी या दशमी तिथि के दिन व्रत का पारण करते हैं। पारण अर्थात व्रत खोलना।
शारदीय नवरात्रि का उपवास कैसे रखें?
1. फलाहारी व्रत:
यह सबसे सामान्य और आसान व्रत है। इसमें आप पूरे दिन केवल फल, दूध, दही, पनीर, और कुछ खास तरह के अनाज (जैसे कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना) का सेवन कर सकते हैं। नमक के लिए सेंधा नमक का उपयोग किया जाता है।
शारदीय नवरात्रि में क्या खा सकते हैं:
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फल और फलों का रस।
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दूध, दही, छाछ, पनीर।
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आलू, शकरकंद, अरबी।
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साबूदाना की खिचड़ी या वड़ा।
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कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की रोटी या पूड़ी।
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मेवे (बादाम, अखरोट, काजू)।
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लौकी, कद्दू, टमाटर, खीरा।
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सेंधा नमक।
शारदीय नवरात्रि में क्या नहीं खा सकते हैं:
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सामान्य अनाज (गेहूं, चावल, दालें)।
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लहसुन, प्याज।
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हल्दी, हींग, धनिया पाउडर जैसे मसाले।
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सामान्य नमक।
2. निर्जल व्रत: यह सबसे कठिन व्रत होता है। इसमें पूरे नौ दिनों तक बिना पानी और भोजन के रहना होता है। यह व्रत केवल वही लोग रखते हैं जिनकी शारीरिक क्षमता बहुत अधिक हो।
3. एक समय का भोजन (एकहारी व्रत): इस व्रत में दिन में केवल एक बार ही भोजन किया जाता है, जिसमें फलाहार नियमों का पालन किया जाता है।
4. अखंड ज्योति: व्रत के दौरान कुछ लोग देवी के सामने नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाते हैं, जो आस्था का प्रतीक है।
शारदीय नवरात्रि में उपवास कब खोलें? (व्रत का पारण):
1. शारदीय नवरात्रि का उपवास सप्तमी, अष्टमी, नवमी या दशमी तिथि को खोला जाता है। यह घर परिवार और कुटुंब मी परंपरा पर निर्भर करता है कि कौन किस तिथि को व्रत खोलता है।
2. यदि आपने आठ दिनों का व्रत रखा है, तो अष्टमी तिथि के दिन पूजा-अर्चना के बाद आप उपवास खोल सकते हैं। इस दिन हवन, कन्या पूजन, कन्या भोज का विशेष महत्व है।
2. यदि आपने नौ दिनों का व्रत रखा है, तो नवमी तिथि के दिन पूजा-अर्चना के बाद आप उपवास खोल सकते हैं। इस दिन कन्या पूजन (कन्या भोज) का विशेष महत्व है। नौ छोटी बच्चियों (दो से दस साल की) को देवी का रूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है। उन्हें हलवा, पूड़ी और चने का प्रसाद खिलाया जाता है। कन्याओं को भोजन कराने और उनका आशीर्वाद लेने के बाद, आप खुद भी प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत खोल सकते हैं।
2. कुछ लोग नौ दिनों का व्रत पूरा करके विजयादशमी (दशमी तिथि) के दिन सुबह पूजा के बाद उपवास खोलते हैं। यह भी एक मान्य परंपरा है, खासकर जब नवमी का व्रत कन्या पूजन के साथ पूरा हो जाता है।
व्रत खोलने का सही तरीका:
पूजा: व्रत खोलने से पहले देवी माँ की पूजा करें, आरती करें और उनसे व्रत की सफलता के लिए धन्यवाद करें।
कन्या पूजन: यदि संभव हो तो कन्या पूजन जरूर करें।
सात्विक भोजन: व्रत खोलने के लिए सात्विक और हल्का भोजन लें। अचानक से भारी या मसालेदार खाना न खाएं।
पहला आहार: सबसे पहले जल, फिर फल या हल्का भोजन जैसे हलवा, पूड़ी, और चने का प्रसाद लें। यह पाचन तंत्र को धीरे-धीरे सामान्य करने में मदद करता है।
नमक और मसाला: शुरुआत में नमक और मसालेदार भोजन से बचें, क्योंकि यह आपके पाचन को खराब कर सकता है।
इन नियमों का पालन करके आप न केवल अपनी धार्मिक आस्था को पूरा कर सकते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकते हैं।