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पहले भी सागर में लापता हुए हैं विमान

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कुआलालम्पुर , मंगलवार, 11 मार्च 2014 (12:30 IST)
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कुआलालम्पुर। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार क्रांति के इस युग में जब कोई भी सूचना सेकेंडों में मिल जाती है, ऐसे में किसी जेटलाइनर का सागर के ऊपर से लापता हो जाना चौंका देने वाली बात लगती है लेकिन मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट एमएच 370 के लापता हो जाने से पहली बार यह एहसास नहीं हुआ है कि समुद्र कितने विशाल होते हैं और उनमें खोई किसी वस्तु को खोजना कितना कष्टप्रद हो सकता है।

अटलांटिक महासागर में 2009 में डूबे एयर फ्रांस के विमान के मुख्य अवशेषों को ढूंढने में दो वर्ष लग गए थे। इससे पहले 2007 में मलेशिया और वियतनाम के बीच लापता हुए इंडोनेशियाई जेट के मलबे का पता लगाने में एक सप्ताह का समय लगा था।

ऑस्ट्रेलिया में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग के प्रोफेसर माइकल स्मार्ट ने कहा कि दुनिया एक बड़ी जगह है। यदि यह विमान सागर के बीच में डूबा हो तो किसी को नहीं पता कि उसे खोजने में कितना समय लगेगा।

अमेरिकी एयरवेज़ में 25 वर्ष काम करने वाले और अब सेफ्टी ऑपरेटिंग सिस्टम्स के सीईओ कैप्टन जॉन एम. कॉक्स ने कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि हम इस विमान को खोज लेंगे। ऐसा पहली बार नहीं है जब हमें विमान का पता लगाने के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ा है।'

कॉक्स ने कहा कि ऐसा लगता है कि विमान अपने सामान्य उड़ान पथ से भटक गया। इसके बाद यह रडार से गायब होगा। इसके बाद सब अटकलें है। यदि इसमें सामान्य उड़ान पथ पर बीच हवा में विस्फोट हुआ होता तो हम अब तक इसका पता लगा चुके होते। (भाषा)

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