जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान, मोल करो तरवार (तलवार) का, पड़ा रहन दो म्यान। कबीरदास जी ने सही ही कहा है। किसी की जाति के बजाय उसकी विशेषताओं और ज्ञान पर ही ध्यान देना चाहिए। लेकिन, जातिवाद में आकंठ डूबा भारतीय समाज के लोगों को जाति को लेकर काफी जिज्ञासा होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जाति और गोत्र (Prime Minister Narendra Modi caste and gotra) को लेकर भी सोशल मीडिया पर लोग काफी सर्च करते हैं।
खासकर जब-जब चुनाव आते हैं, तब-तब जाति की बात बड़ी तेजी से उठती है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात की मोढ़-घांची (तेली) जाति या समुदाय से आते हैं। भारत सरकार की पिछड़ा वर्ग (OBC) लिस्ट में इस जाति का भी नाम शामिल है। मोढ़-घांची समुदाय के लोग गुजरात के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी पाए जाते हैं।
गुजरात में इनकी आबादी करीब 6 फीसदी है। एक जानकारी के मुताबिक गुजरात के वडनगर में मोढेश्वरी देवी का एक मंदिर है। इसी शहर में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ है और उनका परिवार की कई पीढ़ियां यहीं रही हैं। यही कारण है कि उनके परिजन मोढ़-घांची कहलाए। किराने की दुकानें चलाने के कारण बाद में यही लोग मोदी भी कहलाए।
गुजरात में मुख्यमंत्री छबीलदास मेहता के कार्यकाल में 1994 में मोढ़-घांची समेत कुल 38 जातियों को राज्य सरकार ने पिछड़ी जाति में शामिल किया था।
गोत्र की पूछताछ क्यों? : जहां तक गोत्र का सवाल है तो जरूरी नहीं हर किसी का गोत्र मालूम किया जाए। वैसे यदि किसी व्यक्ति को अपना गोत्र नहीं मालूम है तो शास्त्रानुसार वह व्यक्ति अपना गोत्र कश्यप बता सकता है। ऐसा कहा जाता है कि कश्यप ऋषि से ही मनुष्यों की उत्पत्ति हुई थी। सभी हिन्दू जातियों के गोत्र ऋषियों पर ही आधारित हैं।