किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का परिचायक बजट एक लंबी प्रक्रिया से तैयार होता है।
इसके सूत्रधार के रूप में हम भले ही वित्तमंत्री की भूमिका से वाकिफ हों, लेकिन उनके अलावा भी विशेषज्ञों और तकनीशियनों का बड़ा दल शामिल होता है जिनके अथक परिश्रम से लोग अमूमन अंजान ही रहते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था की रूपरेखा को दर्शाते आमद-खर्च के आँकड़ों की बाजीगरी के साथ तथ्यों को एकत्र करना और बजट दस्तावेज के प्रकाशन की समूची प्रक्रिया को अंजाम देने के जटिल कार्य में वित्तमंत्री के नेतृत्व में अधिकारियों और स्टेनोग्राफरों का दल शामिल होता है।
वित्तवर्ष 2008-09 के बजट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारियों में संयुक्त सचिव (बजट) एलएम वास, राजस्व सचिव पीवी भींडे, व्यय सचिव संजीव मिश्रा, वित्त सचिव दुवूरी सुब्बाराव, प्रधान आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी तथा वित्तमंत्री के सलाहकार सुभाशीष गंगोपाध्याय आदि शामिल हैं।
बजट तैयार करने वाले दल के सूत्रधार की भूमिका वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने निभाई है।
बजट निर्माण की प्रक्रिया आमतौर पर सितंबर में शुरू होती है, जब बजट तैयार करने वाला दल अपना लक्ष्य निर्धारित करता है। यह दल आमद का आकलन कर खर्च का आँकड़ा तैयार करता है।
बजट निर्माण प्रक्रिया के तहत बातचीत का दौर दिसंबर के अंत तक चलता है। इस दौरान वित्तमंत्री उद्योग समूहों विभिन्न संगठनों राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रालयों आदि के साथ विचार-विमर्श करते हैं।
जनवरी के बाद से बजट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू होती है और इसके बाद इसे प्रधानमंत्री के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए पेश किया जाता है।
आँकड़े एकत्र करने और बजट दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान इसमें शामिल अधिकारियों तथा स्टोनोग्राफरों को एनआईसी लिंक समेत अन्य नेटवर्क से अलग कर दिया जाता है और प्रकाशन के दौरान खुफिया ब्यूरो इस दल के सभी सदस्यों पर नजर रखता है। इस दौरान प्रकाशन में लगे सभी लोगों को नार्थ ब्लाक में ही रहना पड़ता है।
बजट प्रस्तुत करने के लिए संसद में जुटने से केवल 10 मिनट पहले मंत्रिमंडल को बजट का सार देखने को मिलता है।