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उत्तरी अमेरिका में वार्षिक कवि सम्मेलन 5 अप्रैल से...

युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत - हास्य कवि सम्मलेन

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- सुधा ओम ढींगरा

अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति पिछले तीन दशकों से हिन्दी का प्रचार-प्रसार विभिन्न साधनों से कर रही है। कवि सम्मलेन उनमें से एक है।

अमेरिका एक विस्तृत देश है जिसके भोगौलिक विस्तार के कारण हिन्दी भाषी फैले हुए है। यह फैलाव ही उन्हें एक-दूसरे के निकट लाने और हिन्दी के प्रसार में अवरोध पैदा कर रहा था। हिन्दी भाषियों को एक छत के नीचे इकठ्ठा कर भाषा के प्रति उनका समर्पण करवाने में इन कवि सम्मेलनों का बहुत बड़ा योगदान है।

वर्षों से हो रहे इन कवि सम्मेलनों का प्रभाव अब युवा पीढ़ी पर भी दिखाई दे रहा है। वे इनमें सम्मिलित होने लगे हैं। इन कवि सम्मेलनों की सरल-सीधी भाषा और हंसी-हंसी में दिया जा रहा सन्देश युवा वर्ग को बहुत भाता है। सैंकड़ों की तादाद में हिन्दी भाषी इन कवि सम्मेलनों में आने लगे हैं और इससे हिन्दी के प्रसार-प्रचार के लिए धन एकत्रित करने में सहायता मिलती है, जो इन कवि सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य होता है।

अटल बिहारी वाजपेयी, प्रभा ठाकुर, सोम ठाकुर, उदय प्रताप सिंह, काका हाथरसी, बृजेन्द्र अवस्थी, गोपाल दास नीरज, हुल्लड़ मुरादाबादी, अशोक चक्रधर और मंचीय कविओं की मुख्यधारा के तकरीबन सभी कवि इन कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ा चुके हैं।

इस बार उत्तरी अमेरिका में वार्षिक कवि सम्मेलनों की श्रृंखला शुरू हो रही है जो 5 अप्रैल से 5 मई तक चलेगी।

इन कवि सम्मेलनों की श्रृंखला में डॉ. सुरेश अवस्थी, डॉ. कुंअर बेचैन एवं दीपक गुप्ता की भागीदारी है और यह कवि सम्मलेन पिट्सबर्ग, वॉशिंगटन डीसी, रिचमंड वर्जिनिया, रॉली नार्थ कैरोलाईना, सैन होजे, कैलिफोर्निया, नैशविल टेनिसी, न्यूओर्लीन्स, ह्यूस्टन, बॉस्टन, इंडिआनापोलिस, शिकागो, सिनसिनाटी ओहाओ, डेट्रॉइट, कोलम्बस ओहाओ, क्लीवलैंड ओहाओ, टोरंटो कैनेडा, प्रिंसटन न्यूजर्सी एवं न्यूयॉर्क आदि 18 जगहों पर हो रहे हैं।

इन कवि सम्मेलनों में द्विअर्थी शब्द और फूहड़ हास्य कभी नहीं परोसा जाता। विदेशों में कवि सम्मलेन हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में बहुत सहायक सिद्ध हुए हैं।

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