Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जहाँ धर्म है वहाँ दहशतगर्दी नहीं : ज़कीया ज़ुबैरी

Advertiesment
हमें फॉलो करें एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स
- सुरेन्द्र कुमार

PR
लंदन। 13 दिसंबर 2008 को कथा यू.के. एवं एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स द्वारा आयोजित साझा हिन्दी-उर्दू कथागोष्ठी में मेहमानों का स्वागत करते हुए कॉलिन्डेल की काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी ने कहा- 'मुंबई की त्रासदी के बाद हमें यह ज़रूरी लगा कि हिन्दी-उर्दू की एक मिली-जुली कथागोष्ठी करवाकर हम विश्व को यह संदेश दे सकते हैं कि साहित्य द्वारा दो देशों के नागरिकों में एक सहज वातावरण पैदा किया जा सकता है।

मैं नहीं मानती कि आतंकवाद का कोई मज़हब होता है। दरअसल मैं तो कहूँगी जिस दिमाग़ में मज़हब या धर्म का वास होता है, वहाँ दहशतगर्दी के लिए कोई स्थान नहीं होता है।' इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे भारतीय उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी आनन्द कुमार जबकि अध्यक्ष थे प्रोफ़ेसर अमीन मुग़ल।

इस कथागोष्ठी में हिन्दी कथाकार दिव्या माथुर ने अपनी महत्वपूर्ण कहानी पंगा का पाठ किया तो उर्दू का प्रतिनिधत्व किया नजमा उस्मान की कहानी मज्जु मियाँ ने। इस महत्वपूर्ण गोष्ठी में अन्य लोगों के अतिरिक्त शामिल हुए डॉ. अचला शर्मा, उषाराजे सक्सेना, सफ़िया सिद्दीक़ी, हुमा प्राइस, परवेज़ आलम, ख़ुर्शीद सिद्दीक़ी, परिमल दयाल, रेहाना सिद्दीक़ी, डॉ. हमीदा, सीमा कुमार, केबीएल सक्सेना।

कथा यूके के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा ने सूचित किया कि यह कथा यू.के. की गोष्ठियों का दसवाँ साल है। दिव्या माथुर की कहानी पंगा के बारे में उन्होंने कहा कि यह सही मायने में हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय कहानी है। इस कहानी का विषय, निर्वाह, भाषा और बिम्ब सभी नयापन लिए हैं। कहानी का आधार लन्दन की कारों की नम्बर प्लेटें हैं। कहानी की मुख्य पात्र एक अधेड़ सेवानिवृत्त भारतीय मूल की महिला है। तेजेन्द्र शर्मा ने आगे कहा कि दिव्या ने इस कहानी में जो तकनीक अपनाई है उसमें कहानी सुनाने से हटकर वे कहानी दिखाती हैं।

आनंद कुमार, ज़कीया ज़ुबैरी, उषाराजे सक्सेना, सफ़िया सिद्दीकी, परवेज़ आलम, परिमल दयाल, डॉ. हमीदा एवं ख़ुर्शीद सिद्दीकी आदि सभी एकमत थे कि कहानी चलती हुई कार की यात्रा के साथ-साथ उन सभी सड़कों पर उन्हें साथ ले चलती है। पन्ना (कहानी की मुख्य पात्र) की हर प्रतिक्रिया उन्हें सहज और सही लगती है।

डॉ. अचला शर्मा ने दिव्या को उनकी कहानी की भाषा, विट और विषय के चुनाव के लिए बधाई दी। अध्यक्ष प्रो. अमीन मुग़ल के अनुसार कहानी तीन स्तरों पर यात्रा करती है।

पहले स्तर पर आती है कारों की नम्बर प्लेटें जिनकी कड़ियाँ एक कहानी बनाती चलती हैं। उसके बाद आती है पन्ना की कार की यात्रा। ये दोनों स्तर एक सीधी लाइन की तरह चलते हैं। फिर उन नम्बर प्लेटों से दिमाग़ में पैदा हुई भावनाएँ, वे अपनी एक कहानी बनाती हैं। वह एक तरह से तरंगों की तरह चलता है। मज़ेदार बात यह है कि उन तरंगों में भी एक छिपी हुई सरल रेखा चलती रहती है, जो कुछ पन्ना के साथ जो घटित होता है। उन्होंने दिव्या माथुर की कहानी को आधुनिक कहानी की एक अच्छी मिसाल बताया।

नजमा उस्मान की कहानी मज्जु मियाँ के बारे में तेजेन्द्र शर्मा ने बताया कि यह कहानी किस्सागोई शैली की कहानी है जिसमें चरित्र के भीतर की यात्रा न दिखाकर लेखक सारा किस्सा ख़ुद अपने लफ़्जों में बयान करता है। नजमा की भाषा चुटीली थी और अदायगी प्रभावशाली।

उषा राजे सक्सेना, आनन्द कुमार, परवेज़ आलम, ख़ुर्शीद सिद्दीकी, सफ़िया सिद्दीकी, डॉ. हमीदा को लगा कि कहानी में मज्जु मियाँ का चरित्र बहुत मज़ेदार है। कहानी की भाषा बहुत विट लिए है। ज़कीया ज़ुबैरी का कहना था कि पाकिस्तान से ब्रिटेन आए हर घर में मज्जु मियाँ जैसा एक न एक रिश्तेदार ज़रूर होता है।

वकील होने के नाते हुमा प्राइस ने दोनों कहानियों को लीगल कोण से परखा। परिमल दयाल का कहना था कि पाठक को कहानी और अधिक प्रभावित कर सकती थी यदि मज्जु मियाँ के बारे में केवल बताया न जाता बल्कि उन्हें कुछ करते हुए दिखाया जाता। वहीं डॉ. अचला शर्मा को लगा कि कहानी जिस प्रभावशाली ढंग से शुरू हुई, उसे अंत तक निभाया नहीं जा सका। कहानी बहुत जल्दबाज़ी में ख़त्म कर दी गई। पाठक की प्यास बुझ नहीं पाई।

प्रो. अमीन मुग़ल ने नजमा उस्मान की कहानी को और मज्जु मियाँ के चरित्र को मज़ेदार बताया और कहा कि नजमाजी ने अपने चरित्र के केवल एक पहलू को उजागर किया है। मज्जु मियाँ के चरित्र के दूसरे पहलू और अन्दरूनी भावनाओं का चित्रण नहीं किया गया। मगर कहानी मज़ेदार बन पाई है। गोष्ठी में हिन्दी-उर्दू के रिश्तों, आधुनिक कहानी, प्रगतिशील कहानी आदि पर भी जमकर बहस हुई। अंत में तेजेन्द्र शर्मा ने नजमा उस्मान एवं दिव्या माथुर को धन्यवाद देते हुए सभी मेहमानों की बारिश के मौसम में कथागोष्ठी में आने के लिए
सराहना की।

मेहमानों ने जितना आनन्द कहानियों का उठाया उतना ही लुत्फ़ ज़कीयाजी द्वारा सजाई गई नाश्ते की मेज़ ने दिया। हिन्दी-उर्दु कहानी गोष्ठी के लिए त्योहार के मौसम के अनुकूल मेज़ को क्रिसमिस के थीम से सजाया गया था। मेहमानों ने ज़कीयाजी की मेज़बानी की खुले दिल से तारीफ़ की। कार्यक्रम के मेज़बान थे ज़कीया एवं सलीम ज़ुबैरी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi