कथा(यूके) के अध्यक्ष एवं कैलाश बुधवार ने लंदन से सूचित किया है कि वर्ष 2013 के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान कथाकार श्री पंकज सुबीर को उनके सामयिक प्रकाशन से 2012 में प्रकाशित कहानी संग्रह महुआ घटवारिन और अन्य कहानियां पर देने का निर्णय लिया गया है।
श्री कैलाश बुधवार ने बताया कि इस वर्ष सम्मान के लिए केवल कहानी विधा पर ही ध्यान केन्द्रित किया गया क्योंकि पिछले दो वर्षों में बहुत से स्तरीय कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। पंकज सुबीर के अतिरिक्त अजय नावरिया, मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रेम भारद्वाज एवं विवेकानन्द के कहानी संग्रह अंतिम पांच की दौड़ तक पहुंचे। विजेता का चुनाव करने में निर्णायकों को ख़ासी कठिनाई का सामना करना पड़ा।
इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गई थी। इंदु शर्मा का कैंसर से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान चित्रा मुद्गल, संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एस आर हरनोट, विभूति नारायण राय, प्रमोद कुमार तिवारी, असग़र वजाहत, महुआ माजी, नासिरा शर्मा, भगवान दास मोरवाल, हृषिकेश सुलभ, विकास कुमार झा एवं प्रदीप सौरभ को प्रदान किया जा चुका है।
इस सम्मान के अन्तर्गत दिल्ली-लंदन-दिल्ली का आने जाने का हवाई यात्रा का टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित), एअरपोर्ट टैक्स़, इंग्लैंड के लिए वीसा शुल्क़, एक शील्ड, शॉल, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के खास खास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होंगे। यह सम्मान श्री पंकज सुबीर को लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में एक भव्य आयोजन में प्रदान किया जाएगा।
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पंकज सुबीर : परिचय
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पंकज सुबीर का जन्म 11 अक्टूबर 1975 को मध्यप्रदेश के सिवनी मालवा कस्बे में हुआ। पिता के शासकीय सेवा में चिकित्सक होने के कारण मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में शिक्षा दीक्षा हुई। बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल के अंतर्गत आने वाले शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (अब चंद्रशेखर आज़ाद शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय) से जीव विज्ञान विषयों में स्नातक उपाधि तथा उसके बाद वहीं से रसायन शास्त्र (अकार्बनिक रसायन शास्त्र) में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
अब तक सौ से ज्यादा साहित्यिक रचनाएं जिनमें कहानियां, कविताएं, ग़ज़लें, लेख तथा व्यंग्य लेख शामिल हैं, देश भर की शीर्ष साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। सम्मानित कृति के अतिरिक्त पंकज का एक कहानी संग्रह 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' और एक उपन्यास 'ये वो सहर तो नहीं' प्रकाशित हो चुके हैं।
38 वर्षीय पंकज सुबीर को बहुत से पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं जिनमें उपन्यास 'ये वो सहर तो नहीं' के लिए भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, इंडिपेंडेंट मीडिया सोसायटी (पाखी पत्रिका) द्वारा शब्द साधक जनप्रिय सम्मान, गोरखपुर उत्तर प्रदेश की संस्था नवोन्मेष द्वारा साहित्य का नवोन्मेष सम्मान शामिल हैं।
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वर्तमान में फ्रीलांस पत्रकारिता के साथ-साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा ग्राफिक्स प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। जब से सम्मान को अन्तर्राष्ट्रीय किया गया है तब से अब तक पंकज सुबीर सबसे छोटी आयु के साहित्यकार हैं जिनको सम्मानित किया जा रहा है।
वर्ष 2013 के लिए पद्मानन्द साहित्य सम्मान बर्मिंघम के डॉ. कृष्ण कन्हैया को उनके कविता संग्रह किताब ज़िन्दगी की (2012-वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली) के लिए दिया जा रहा है।
डॉ. कृष्ण कन्हैया: परिचय
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डॉ. कृष्ण कन्हैया का जन्म पटना, बिहार में हुआ था और उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से एम.बी.बी.एस. की शिक्षा प्राप्त की जबकि पटना विश्वविद्यालय से सर्जरी में मास्टर्स पूरी की। इसके अतिरिक्त उन्होंने एडिनबरा से मेडिकल की अन्य डिग्रियां हासिल की हैं। उनकी प्रकाशित रचनाओं में सूरज की सोलह किरणें, कविता-2007 (कविता संग्रह),शामिल हैं। उनका एक कविता संग्रह किताब संवेदना की प्रकाशनाधीन है।
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डॉ. कृष्ण कन्हैया का कहना है कि विदेश आने के बाद अपनी संस्कृति का गर्व, अपने संस्कारों की गरिमा, अपने गांव की शुद्ध सौंधी ख़ुशबू और अपनी मातृभूमि से अनवरत लगाव मेरी अंतरात्मा को ज़्यादा उद्वेलित करता था जिसकी झलक अब मैं अपनी कविताओं में महसूसता हूं।
इससे पूर्व इंगलैण्ड के प्रतिष्ठित हिन्दी लेखकों क्रमश: डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव, सुश्री दिव्या माथुर, नरेश भारतीय, भारतेन्दु विमल, डॉ.अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेना, गोविंद शर्मा, डॉ. गौतम सचदेव, उषा वर्मा, मोहन राणा, महेन्द्र दवेसर, कादम्बरी मेहरा, नीना पॉल एवं सोहन राही को पद्मानन्द साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा और कथा यू.के. परिवार ने विशेष तौर पर चित्रा मुद्गल, भारत भारद्वाज, उर्मिला शिरीष, सुधा ओम ढींगरा, सुशील सिद्धार्थ, साधना अग्रवाल एवं आलोक मेहता प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया, जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए लेखकों के नाम सुझा कर मार्गदर्शन किया।