पिछले दिनों रूस की राजधानी मॉस्को में रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय हिन्दी सम्मेलन 'हिन्दी महोत्सव' एवं भारतीय संस्कृति का तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया गया।
समारोह के आयोजक थे रूस में भारतीय दूतावास के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र तथा रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय, मॉस्को राजकीय विश्वविद्यालय तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विश्वविद्यालय।
क्षेत्रीय हिन्दी सम्मेलन के प्रमुख लक्ष्य थे- हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के अध्ययन में वैज्ञानिक समुदायों को उत्साहपूर्वक आकर्षित करना, स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस देश) और विदेशी वरशिया देशों में दक्षिण एशिया के अध्ययन के लिए इनके प्रमुख शैक्षिक और अनुसंधान केंद्रों के साथ संबंधों का विकास करना, रूसी विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों को भारत की परंपराओं से परिचित कराना।
रूसी फेडरेशन में भारतीय दूतावास के जिन प्रतिनिधिगणों ने समारोह के आयोजन में बड़ा योगदान दिया, उनमें थे संदीप आर्य डीसीएम, संजय वेदी जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र के कार्यकारी निदेशक, डॉ. गुलाबसिंह हिन्दी प्राध्यापक; अनिल जनविजय कवि तथा 'रूस-आज' के अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी के अनुवादक अरविंद कुमार दीक्षित, रूसी फेडरेशन में भारतीय दूतावास की रक्षा प्रौद्योगिकी विभाग के सलाहकार।
रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय के रेक्टर येफीम पीवोवार ने इस सम्मेलन के आयोजन में अपना बड़ा समर्थन दिया। रशियन लोग जानते हैं कि हिन्दी दिवस भारत गणराज्य में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इसी वजह से सम्मेलन के आयोजकगण ने विश्वविद्यालय में न केवल हिन्दी दिवस, बल्कि भारतीय संस्कृति के तीन दिवसीय समारोह भी मनाए।
आयोजन समिति के नेतृत्व में शामिल थे दक्षिण एशिया के अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ. अलेक्जान्देर स्तोल्यारोव, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेशी क्षेत्रों के अध्ययन विभाग के प्रमुख डॉ. ओलगा पावलेन्को एवं भाषा विज्ञान के संस्थान की हिन्दी शिक्षिका डॉ. इंदिरा गाजिएवा।
मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग, व्लादिवोस्तोक के शैक्षिक संस्थानों के 50 हिन्दी शिक्षकगणों और छात्रगणों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। कुछ प्रमुख नाम यूं है- मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन संस्थान के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. ल्यूदमिला खोखलोवा, डॉ. गूजेल स्त्रेलकोवा, डॉ. एकातेरीना पानीना, डॉ. अनास्तासीय गूरिना, अनिल जनविजय व स्वेतलाना मिकोयान, रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय की हिन्दी प्राध्यापक डॉ. इंदिरा गाजिएवा व एकातेरीना कोमिसारूक; अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से हिन्दी प्राध्यापक डॉ. क्लारा उसागालीअवा, अलेक्जान्देर सीगोर्सकीय, ओल्गा माल्त्सेवा एवं मारीय अलेक्सांद्रोवना, डॉ. सफारमो तोलीबी, हिन्दी बोर्डिंग स्कूल 19 के हिन्दी अध्यापक; डॉबर्नो अवेजोवा राज्य क्लासिकल अकादमी मॉस्को, सेंट पीट्सबर्ग राज्य विश्वविद्यालय के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. लीलिया स्त्रेलत्सोवा, डॉ. एकातेरीना कोस्तीना, डॉ. आन्ना चेलनोकोवा, फॉर ईस्टर्न स्टेट यूनिवर्सिटी के हिन्दी प्राध्यापक डॉ. एकातेरीना स्पेहोवा, डॉ. ओलगा गोपनेवा, स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल के हिन्दी प्राध्यापक जॉर्जिया से काखाबेर चिंचिलांद्जे, अजरबैजान से साइदा मिर्जाएवा, बेलारूस से अलेस्या माकोव्सकाया, आर्मेनिया से ह्रीपसीमे नेरसेयान, कजाखिस्तान से डॉ. सेनिम्गुल दोस्सोवा एवं दारीगा कोकेएवा, ताजिकिस्तान से डॉ. जारीना राखमातुल्लाएवा, उज्बेकिस्तान से तीन हिन्दी प्राध्यापक प्रो. अजाद शामातोव, डॉ. उल्फात मुखीब, डॉ. सीरोजिद्दिन नुर्मातोव, यूक्रेन से सान्जाय राजहांस।
सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम के अवसर पर अनेक भारतीय और रूसी अधिकारियों, वैज्ञानिकों के स्वागत भाषण दिया। रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. अलेक्सान्दर बेजबरादोफ ने बताया कि हम भारत के बारे में गहरी रुचि रखते हैं। भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था और वहां के जनजीवन को हम अध्ययन की नजर से देखते हैं। हम देख रहे हैं कि कितने सारे छात्र यहां पर उपस्थित हैं और ये सभी छात्र भारत का अध्ययन कर रहे हैं। हमारे कुलपति श्री एफिम पिवोवार हिन्दी पढ़ने की ओर तथा हिन्दी पढ़ाने की ओर बड़ा ध्यान देते हैं। इसके बिना हम भारत का अध्ययन नहीं कर सकते हैं।
इस अवसर पर महामहिम पीएस राघवन ने जिक्र किया कि रूस में हीं नहीं, बल्कि यूरेशिया के सभी देशों में हिन्दी भाषाशास्त्र पर अनुसंधान, हिन्दी साहित्य और रूसी और अन्य भाषाओं में अनुवाद तथा इस साहित्य में चित्रित, सांस्कृतिक एवं सामाजिक जीवन का विस्तृत विश्लेषण, इन सबका बहुत बड़ा संग्रह यहां उपलब्ध है। इसके लिए यहां के हिन्दी विद्वानों की निरंतर प्रतिबद्धता अत्यंत सराहनीय है। यह भी खुशी की बात है कि यहां युवा पीढ़ी हिन्दी भाषा और इससे संबंधित सभी विषयों को सीखने के लिए उत्सुक है। इस तीन दिवसीय समारोह में बुद्धिजीवियों ने हिन्दी भाषा, साहित्य, तकनीक एवं अनुवाद के मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
इस अवसर पर दो पुस्तकों और एक डाक्यूमेंट्री फिल्म और सम्मेलन की स्मारिका 'सहयात्रा' का विमोचन किया गया। प्रो. गुजल स्ट्रेलकोवा ने और डॉ. अनास्तासीया गुड़िया ने प्रसिद्ध हिन्दी कवि कुंवर नारायण की काव्य-पुस्तक 'नीम के फूल' का रूसी भाषा में अनुवाद किया है। यह पुस्तक रूसी भाषा में उपलब्ध हिन्दी साहित्य में बड़ा योगदान है। डॉ. भूपेन्द्र सिंह कजला ने अपनी पुस्तक कजाश्न-ए-बहरमम द्वारा अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया है। कजला भारतीय दूतावास में काम करते हैं।
डॉ. सुरेश शर्मा ने खैयाम की संगीत यात्रा डॉक्यूमेंट्री फिल्म में प्रसिद्ध संगीतकार खैयामजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं का बहुत सुंदर संदेश दिखाया।
'सहयात्रा' भारत का रूस और यूरेशिया के विद्वानों की लगभग 35 रचनाओं का संग्रह है। इसमें रूस के हिन्दी पढ़ने वाले छात्रों की रचनाएं शामिल भी शामिल हैं। रूसी फेडरेशन में भारत के राजदूत महामहिम अलेक्जान्देर कदाकीन ने वीडियो संदेश में कहा कि भारत में मानवता का 6ठा हिस्सा आबाद है। भारत इतने व्यापक पैमाने पर आर्थिक व सामाजिक बदलाव से गुजर रहा है कि ऐसा कोई उदाहरण दुनिया में, इतिहास में शायद नहीं मिल पाए।
इस अवसर पर विदेश मंत्रालय की उपसचिव (हिन्दी) सुनीति शर्मा ने बताया कि रूस की धरती पर रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिन्दी सम्मेलन में संबोधित करते हुए मुझे बड़ा गौरव हुआ है। भारत का विदेश मंत्रालय विश्वभर में हिन्दी से जुड़ी स्थानीय शैक्षिक संस्थाओं और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन करता रहा है। जिस देश में इन सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है उसके जरिए आसपास के देशों, हिन्दी शिक्षकों तथा छात्रों की समस्याओं को जाना जा सके, एक-दूसरे के अनुभवों का आदान-प्रदान हो सके। यही इन सम्मेलनों का उद्देश्य है और यही महत्व भी है।
भारत से सम्मेलन में शामिल होने वाले विद्वान थे- महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय (वर्धा) से प्रो. गिरीश्वर मिश्रा कुलपति तथा प्रो. सुरेश कुमार शर्मा, प्रो. हरिमोहन शर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. देवेन्द्र शुक्ल एवं प्रो. बीना शर्मा केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा, प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी दिल्ली विश्वविद्यालय, बालेंदु दधीचि विशेषज्ञ हिन्दी का तकनीकी विकास, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी निदेशक आकाशवाणी दिल्ली, रिचा मिश्रा एवं डॉ. चंद्रकांत त्रिपाठी।
प्रस्तुति : डॉ. इंदिरा गाजिएवा।