मलेशिया की एक अदालत ने एक भारतीय महिला को उसके पति की हत्या करने और घर के बगीचे में शव दफनाने के आरोप में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है। पेशे से व्यापारी रियाज अहमद मारूफ की करीब पाँच वर्ष पहले उनके कमरे में गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी और शव को घर के बगीचे में दफना दिया गया था।
शुरुआत में इस मामले को जटिल करार दिया गया क्योंकि इस तरह की रिपोर्ट थी कि हत्या करने से पहले रियाज को नशीली दवाएँ दी गई थी। उच्च न्यायालय की न्यायाधीश जहराह इब्राहिम ने मारूफ की भारतीय पत्नी शहमीन बानो मोहम्मद फारूक और रिश्ते के भाई जावेद अख्तर अब्दुल वाहिद को हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई।
इस मामले में 18 लोगों ने गवाही दी जिसके बाद यह फैसला सुनाया गया। न्यायाधीश जहराह ने कहा कि उन्होंने यह पाया कि बचाव पक्ष अभियोजन के मामले पर तर्कसंगत संदेह जताने में नाकाम रहा है। मारूफ के बच्चों ने अदालत से कहा कि उनके पिता का तार के एक टुकड़े से गला दबाया गया था और उन्हें बगीचे में ही दफना दिया गया था।
सजा सुनाए जाने के बाद 41 वर्षीय शहमीन को रोते देखा गया जबकि उसके 39 वर्षीय भाई जावेद ने फैसले पर आश्चर्य जताया।
अपने बचाव में शहमीन ने दावा किया था कि वह हत्या में संलिप्त नहीं थी। उसने जावेद एक अन्य व्यक्ति अयूब खान और एक अज्ञात व्यक्ति पर अपने पति की हत्या का आरोप लगाया था।