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चुनाव दिवस : अमेरिका व भारत में अंतर

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डॉ. मुनीश रायजादा

हाल ही में महाराष्ट्र व हरियाणा में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। चुनाव आयोग ने इन राज्यों के नतीजों के तुरंत बाद जम्मू व कश्मीर तथा झारखंड में विधानसभा चुनावों व दिल्ली में 3 सीटों के लिए उपचुनावों की घोषणा भी कर दी है। 5 चरणों में होने वाले इन चुनावों का प्रारंभ 25 नवंबर को होगा।
 
भारत में चुनाव कुछ-कुछ शादियों जैसे होते हैं। विभिन्न चरणों में कई दिनों तक चलने वाले। शोर- शराबे व रंगों से भरपूर। दोनों उत्सवों में बहुत से लोगों को आमंत्रित किया जाता है, परंतु उपस्थिति कभी भी शत-प्रतिशत नहीं रहती। समापन पर बस कुछ लोग खुश दिखाई देते हैं, बाकी किसी न किसी बात को लेकर शिकायत करते रहते हैं। और हां, शादी हो या चुनाव, पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि चुनाव भारत में एक प्रकार का उत्सव ही हैं।
 
2014 के लोकसभा चुनाव कई मामलों में अभूतपूर्व रहे। देशभर में विभिन्न चरणों में ये चुनाव 36 दिन तक चले। भारतीय चुनाव आयोग ने दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराया, परंतु आम चुनाव 5 सालों की अवधि में हमारे सामने आने वाले एकमात्र चुनाव नहीं हैं। भारत के विभिन्न राज्यों व निकायों में अलग-अलग तिथियों पर हर साल चुनाव होते रहते हैं। ये चुनाव चाहे किसी भी स्तर के हों, हर चुनाव में नामांकन, प्रचार, वोटिंग की वही प्रक्रिया दोहराई जाती है। हर बार संसाधनों व जनता के धन की अनावश्यक बर्बादी होती है, साथ ही भ्रष्टाचार व जनप्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त जैसी बुराइयां पैदा होती हैं।
 
भारतीय चुनाव आयोग अपनी कुशलता व प्रयासों के लिए दुनियाभर में प्रशंसा का पात्र है, फिर भी हमें यह मानना होगा कि हमारी चुनाव प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। हमें इसे और अधिक प्रभावी व तीव्र बनाना होगा।
 
इसके विपरीत अमेरिका में चुनाव कहीं अधिक प्रभावी तरीके से आयोजित किए जाते हैं। 1845 से लेकर आज तक साल में एक विशिष्ट दिन ही चुनावों के लिए तय होता है। इसे चुनाव दिवस (इलेक्शन डे) कहा जाता है। हर साल नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद आने वाला मंगलवार अमेरिका में चुनाव दिवस होता है।
 
अमेरिका के सभी राजनीतिक पदों या सार्वजनिक कार्यालयों के लिए होने वाले चुनाव इसी दिन को होते हैं। जैसे इस बार अगले सप्ताह 4 नवंबर (मंगलवार) को अमेरिकी मतदाता नगर पार्षद व मेयर से लेकर राज्यपाल तक के पदों के लिए वोट डालेंगे।
 
यहां पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व अमेरिकी कांग्रेस का कार्यकाल अलग-अलग होता है : राष्ट्रपति- 4 साल, सीनेटर- 6 साल, अमेरिकी सदन के प्रतिनिधि- 2 साल। जिस वर्ष राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होता हैं (जैसे गत वर्ष 2012 या आगामी 2016), उस वर्ष के चुनाव को सामान्य निर्वाचन (जनरल इलेक्शन) कहा जाता है। जिस वर्ष (मसलन वर्तमान) राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी भाग नहीं लेते हैं, उसे मध्यावधि (मिड टर्म) चुनाव कहते हैं।
 
राष्ट्रपति चुनाव हमेशा उन वर्षों में होते हैं जिन्हें 4 से विभाजित किया जा सकता है (उदाहरण 2012 )। बहुत से अमेरिकी राज्य अपने राज्य स्तरीय व निकाय स्तरीय चुनाव इसी वर्ष कराना पसंद करते हैं, जो अलग चुनाव के खर्च व श्रम को बचाता है। हालांकि कुछ राज्य अपने निचले स्तर के पदों के लिए चुनाव विषम संख्या वाले वर्षों में भी कराते हैं। इन्हें ‘ऑफ ईयर इलेक्शन’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इन समय अक्सर नगरीय निकाय स्तर के पदों के लिए चुनाव होते हैं, इस कारण जनता का ज्यादा ध्यानाकर्षण नहीं कर पाते हैं। अगर किसी कारण से कोई संघीय (फेडरल) पद खाली हो गया हो, तो वह भी ऑफ ईयर इलेक्शन के दौरान भरा जाता है।
 
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अमेरिका व भारत की चुनाव प्रक्रिया में एक अन्य महत्वपूर्ण अंतर है। ‘चुनावी दिन’ से पहले की जा सकने वाली वोटिंग (अर्ली वोटिंग)। यह वोटरों की भागीदारी बढ़ाने का प्रभावी उपाय है। विभिन्न राज्यों के नियमों व चुनाव के स्तर के अनुसार चुनावी दिन के 4 से 50 दिन पहले तक वोटिंग की जा सकती है।
 
देश में इस हेतु जगह-जगह ‘अर्ली पोलिंग स्टेशन’ स्थपित किए जाते हैं। इसके अलावा अमेरिकी मतदाता अपना मत डाक द्वारा भी डाल सकता है। इसके लिए आपको ‘अनुपस्थिति मतपत्र’ (अबसेंटी बैलट) का विकल्प चुनना होता है और आप डाक मतदान के लिए पात्र हो जाते है। इस चयन के लिए आपसे कोई कारण नहीं मांगा जाता है।
 
डाक मतदान का अधिकार वर्दीधारी कार्मिकों व उनके आश्रितों के अलावा उन अमेरिकी नागरिकों को भी है, जो देश के बाहर रह रहे हैं। भारत के मामले में भी इस प्रकार की सुविधा की मांग प्रवासी भारतीयों द्वारा समय-समय पर उठाई जाती रही है। 
 
भारत सिर्फ सशस्त्र सेनाओं के कार्मिकों व मतदान कार्य में लगे कर्मचारियों को ही डाक मतदान की सुविधा देता है। अमेरिका के कुछ राज्यों में सजायाफ्ता अपराधियों को मतदान का अधिकार नहीं है। चुनावी दिन को अमेरिका जनमत संग्रह के लिए भी उपयोग करता है। उदाहरण के लिए इसी 4 नवंबर को इलिनोइस राज्य में गवर्नर पद के लिए चुनाव होना है जिसमें वर्तमान डेमोक्रेट गवर्नर पैट क्विन व रिपब्लिकन प्रत्याशी ब्रुस रौनर के बीच मुकाबला है। इसी दिन यहां के लोग इलिनोइस राज्य के संविधान में प्रस्तावित संशोधनों के पक्ष अथवा विपक्ष में भी वोट डालेंगे।
 
भारत में मतदाता के पंजीकरण व मतदाता पहचान पत्र से संबंधित नियम केंद्रीय चुनाव आयोग बनाता है और ये नियम पूरे भारत में समान रूप से लागू होते हैं। अमेरिका में इसके विपरीत हर राज्य के अपने-अपने अलग नियम होते हैं। इस कारण यह बहस अक्सर चलती रहती है कि कुछ राज्य चुनावी प्रक्रियाओं प्रति आवश्यकता से अधिक सख्त/ उदार हैं।
 
लेखक शिकागो (अमेरिका) में नवजात शिशुरोग विशेषज्ञ तथा सामाजिक-राजनीतिक टिप्पणीकार हैं। 

 

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