कान से प्रज्ञा मिश्रा
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ फिल्म क्रिटिक्स जूरी ने शनिवार की शाम भारत की फिल्म 'मसान' को अवार्ड दिया। ।यह जूरी कान फिल्म फेस्टिवल के साथ-साथ ही अपनी राय भी देती है। इस जूरी में ब्राज़ील, फ्रांस, यूके, टर्की, डेनमार्क के जूरी मेंबर के साथ-साथ भारत के बितोपन बोरबोराह भी शामिल थे।
यह जूरी फेस्टिवल की कॉम्पिटिशन और अनसर्टेन रेगार्ड की एक-एक फिल्म को अवॉर्ड देती है।
इस साल मसान को अनसर्टेन रेगार्ड सेक्शन में और सन ऑफ़ साउल को कॉम्पिटिशन सेक्शन में अवार्ड मिला है
शनिवार की शाम मसान की पूरी टीम के लिए बहुत सारी खुशियां लेकर आई। शाम को 5 बजे पहले उन्हें क्रिटिक जूरी से अवॉर्ड मिला और फिर उसी शाम अनसर्टेन रेगार्ड सेक्शन में प्रॉमिसिंग फ्यूचर का अवॉर्ड मसान और ईरान की फिल्म नाहिद को साथ-साथ मिला।
जिस तरह नीरज घैवन की यह पहली फिल्म है उसी तरह नाहिद भी इदा पनहंदेह की पहली फिल्म है।
नाहिद एक ऐसी महिला की कहानी है जो अकेले अपने बेटे को पाल रही है और जब उसे उम्मीद दिखाई देती है कि वो अपना घर किसी और के साथ बसा सके तो उसे किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
मसान फिल्म की इस जीत के साथ एक ऐसे इंसान की कामयाबी की बात करना बहुत जरूरी है जो पिछले 2-3 सालों से अवॉर्ड दर अवॉर्ड जीतता चला जा रहा है और वो शख्स है मनीष मूंदरा जो मसान के प्रोड्यूसर हैं। उनकी कंपनी दृश्यम फिल्म्स ने पिछले साल सनडांस फिल्म फेस्टिवल में नाम कम चुकी फिल्म अमरीका को प्रोड्यूस किया, उसके बाद नागेश कुकुनूर की फिल्म धनक जो इस साल बर्लिन में दिखाई गई उसे भी दृश्यम फिल्म्स ने बनाया। और इसी हैट ट्रिक की अगली कड़ी है मसान। .... नीरज और उनकी पूरी टीम और ख़ास तौर पर मनीष मूंदरा ने भारत से आने वाली फिल्मों के लिए एक नए ही रास्ते की शुरुआत कर दी है।